अधिकांश अनुसंधानकर्त्ता या तो इसकी विविधता पर मुग्ध होते रहे हैं, कुछ चकित हैं, कुछ गहरे चिन्तन में डूबे हैं और कुछ परम चिन्तित! इस अध्ययन और अनुसंधान की विषयगत चिन्ताओं से मुक्त कुछ दुनियादार लोग ऐसे भी हैं, जोे इस सांस्कृतिक-उपक्रम का सामयिक लाभ भली-भांति पहचान चुके हैं और उसके जरिये अपना हित साधने-संवारने में पूरी तरह सतर्क और सक्रिय हैं।