शिर्क बिल्लाह (अनेकेश्वरवाद), ना हक़ किसी मोमिन को क़त्ल करना, मैदाने जेहाद से फ़रार करना, और माँ बाप का आक़ होना।
22.
वे कहते हैं कि मक्के में एकेश्वरवादियों का एकत्रित होना, जो मूर्तियों के विघटन का स्थल है, हमको अनेकेश्वरवाद से संघर्ष का पाठ देता है।
23.
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की क़ब्र को छूने और चूमने को अनेकेश्वरवाद बताना भी वहाबियत के भ्रष्ट विचारों एवं बिदअतों में से एक है।
24.
इस प्रकार काबे की परिक्रमा के दौरान, मनुष्य एकेश्वरवाद की धुरी पर आ जाता है और हर प्रकार के अनेकेश्वरवाद व बुराई से दूर हो जाता है।
25.
यदि ईश्वर के प्रिय बंदों की वस्तुओं से विभूति की कामना, अनेकेश्वरवाद होती तो क्या क़ुरआने मजीद हज़रत याक़ूब के इस कार्य को ग़लत नहीं ठहराता?
26.
इस महान अवसर पर ईश्वर पर भरोसा करते हुए अनेकेश्वरवाद तथा शैतान की सेना में मुक़ाबले में एकता व एकजुटता का समझौता करो और मतभेदों तथा झगड़ों से बचो।
27.
ईश्वर के पैग़म्बरों और दूतों का सबसे महत्वपूर्ण अभियान यह था कि लोगों के अंतर्मन को अनेकेश्वरवाद की बुराई से पवित्र करें और उन्हें एकेश्वरवाद के मार्ग पर आगे बढ़ाएं।
28.
इस कार्य के लिए इस दिग्भ्रमित एवं अतिवादी गुट का तर्क यह है कि महान हस्तियों की समाधियों व क़ब्रों तथा पवित्र स्थलों का दर्शन एक प्रकार का अनेकेश्वरवाद है।
29.
यदि ये बातें अनेकेश्वरवाद होतीं तो पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम, मुसलमानों को अवश्य ही इस कार्य से रोकते और इ संबंध में कड़ाई से काम लेते।
30.
इसकी स्थापना अनेकेश्वरवाद और जन्मजात असमानताओं को मिटाने के लिए और ‘एक ईश्वर, एक इन्सान' के सिद्धांत को लागू करने के लिए हुई, जिसमें किसी अंधविश्वास या मूर्ति-पूजा की गुंजाइश नहीं है।