| 21. | ऐसे वर्णों को ‘अन्तस्थ ' कहते हैं, अन्तस्थ यानी व्यंजन और स्वर के बीचोंबीच रहने वाले या कहें “अर्धस्वर”।
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| 22. | ऐसे वर्णों को ' अन्तस्थ' कहते हैं, अन्तस्थ यानी व्यंजन और स्वर के बीचोंबीच रहने वाले या कहें “अर्धस्वर”।
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| 23. | इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त वयंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है।
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| 24. | हिन्दी व्यंजनों में-कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, अन्तस्थ और ऊष्म का तो ज्ञान ही नही कराया जाता है।
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| 25. | हर पल तुम्हारी अभिलाषा की थी हर क्षण तुम्हारी प्रतिच्छाया में ही लिपटा रहा मेरे अन्तस्थ और बहिरत तुम ही रही
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| 26. | कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, अन्तस्थ और ऊष्म का तो ज्ञान ही नही कराया जाता है।
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| 27. | ऐसे वर्णों को ‘ अन्तस्थ ' कहते हैं, अन्तस्थ यानी व्यंजन और स्वर के बीचोंबीच रहने वाले या कहें “ अर्धस्वर ” ।
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| 28. | ऐसे वर्णों को ‘ अन्तस्थ ' कहते हैं, अन्तस्थ यानी व्यंजन और स्वर के बीचोंबीच रहने वाले या कहें “ अर्धस्वर ” ।
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| 29. | हे हमारे परम सखा! आप केवल में यशोदा के ही पुत्र नहीं हो अपितु समस्त देहधारियों के हृदयों में अन्तस्थ साक्षी हैं.
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| 30. | लोकधुन जैसे तत्त्व जो मैंने कावालम में रहते हुए अन्तस्थ किये हैं अगर वे सम्प्रेषण के लिए पर्याप्त हैं तो मेरे लिए यह बहुत है.
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