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अपकेंद्री बल उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
21.अपकेंद्री बल के क्षेत्र में, द्रव पदार्थ घूर्णन अक्ष से अधिक से अधिक दूरी पर विपरीत होने का प्रयत्न करता है, जिससे द्रव अपकेंद्रित्र के घूर्णन पात्र के बाहरी किनारें के समीप समान मोटाई में स्थित हो जाता है।

22.यदि अपकेंद्रित्र में कोई वस्तु 600 घूर्णन प्रति मिनट की गति से घूर्णन कर रही हो तथा घूर्णनवृत्त का अर्धव्यास 3. 84 इंच अथवा 10 सेंटीमीटर हो, तो इस परिस्थिति में जनित होनेवाला अपकेंद्री बल गुरुत्व का 41 गुना होता है।

23.पृथ्वी के घूर्णन (revolution) में अपकेंद्री बल (centrifugal force) के कारण तप्त वाष्प के रूप में भाप आदि ऊपर आ गए या ठंडे हो रहे धरातल से उष्णोत्स (geyser) के रूप में फूट निकले।

24.चालक की संख्या बढ़ाने से आर्मेचर का आकार बहुत बढ़ जाता है और उसके घूर्णी भाग होने के कारण अपकेंद्री बल इतना बढ़ जाएगा कि संरचना के दृष्टिकोण से चालकों को अपने स्थानों पर स्थिर रखना भी एक समस्या हो जाएगी।

25.चालक की संख्या बढ़ाने से आर्मेचर का आकार बहुत बढ़ जाता है और उसके घूर्णी भाग होने के कारण अपकेंद्री बल इतना बढ़ जाएगा कि संरचना के दृष्टिकोण से चालकों को अपने स्थानों पर स्थिर रखना भी एक समस्या हो जाएगी।

26.आजकल अपकेंद्रित की उपर्युक्त परिभाषा अधिक विस्तृत हो गई है, जिसके अनुसार ऐसी किसी भी मशीन को, जिसकी रचना इस विशेष प्रयोजन से की गई हो कि उसमें पदार्थों को केंद्राभिमुख, अपकेंद्री बल के सतत प्रभाव में रखा जा सके, अपकेंद्रित्र कहा जाता है।

27.धूल के कणों और अन्य कचरों को अपकेंद्री बल के द्वारा जहां वे गिरती है उसका कारण गुरुत्वाकर्षण हैं, और पात्र के ऊपरी हिस्से में एक के बाद एक कई संख्या में महीन फिल्टर के से होकर साफ हवा भंवर के केंद्र से मशीन से बाहर निकल कर आती है.

28.ये समविभव पृष्ठ दृष्ट गुरुत्व अर्थात् गुरुत्वाकर्षण और घूर्णन जन्य अपकेंद्री बल (centrifugal force) के संयुक्त प्रभाव, की दिशा पर लंब होंगे और संख्या में कितने ही होंगे इनमें से जो माध्य सागर तल के निकटतम है उसे पृथ्वीतल माना जाता है और उसे भू समुद्रतलाभ, या जियोइड (Geoid), कहते हैं।

29.ये समविभव पृष्ठ दृष्ट गुरुत्व अर्थात् गुरुत्वाकर्षण और घूर्णन जन्य अपकेंद्री बल (centrifugal force) के संयुक्त प्रभाव, की दिशा पर लंब होंगे और संख्या में कितने ही होंगे इनमें से जो माध्य सागर तल के निकटतम है उसे पृथ्वीतल माना जाता है और उसे भू समुद्रतलाभ, या जियोइड (Geoid), कहते हैं।

30.धूमकेतु घूर्णन करता है वैसे वैसे उसका हल्का द्रव्यमान, केवल अपकेंद्री बल के कारण दूर क्षिप्त हो जाता है जैसे जैसे धूमकेतु सूर्य के चारों ओर घूर्णन करता है उसका हल्का द्रव्यमान उसकी पुच्छ की दिशा में स्थित किसी तारे द्वारा आकर्षित हो जाता है सूर्य द्वारा उत्सर्जित विकिरण धूमकेतु पर भैज्य दाब डालता है जिससे उसकी पुच्छ सूर्य से दूर क्षिप्त हो जाती है धूमकेतु की पुच्छ सदैव एक ही अभिविन्यास में रहती है

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