पहाड़ो पर उतरना भी इतना आसान नही होता है, दूसरे पीछे से घोड़े-पालकी वाले तेज़ी से आते है उनसे भी बच कर चलना होता है, एक रास्ते मे घोड़े पैदल, और पालकीवालो सभी को चलना होता है, रास्ता भी कई जगह पर इतना संकीर्ण कि बहुत मुश्किल हो जाता था अपने आप को बचाना.
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पहाड़ो पर उतरना भी इतना आसान नही होता है, दूसरे पीछे से घोड़े-पालकी वाले तेज़ी से आते है उनसे भी बच कर चलना होता है, एक रास्ते मे घोड़े पैदल, और पालकीवालो सभी को चलना होता है, रास्ता भी कई जगह पर इतना संकीर्ण कि बहुत मुश्किल हो जाता था अपने आप को बचाना.
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ायिक, गुजरात के ट्रेन में आग लगाना धर्मनिर्पेक्षता, आग से अपने आप को बचाना साम्प्रदायिकता, राम प्रसाद साम्प्रदायिक, लक्ष्मण प्रसाद साम्प्रदायिक, कृ्ष्ण देव साम्प्रदायिक, मोहन सिंह साम्प्रदायिक, राधिका साम्प्रदायिक, उमाशंकर साम्प्रदायिक, रमाकान्त साम्प्रदायिक, गणेश साम्प्रदायिक, गैरी साम्प्रदायिक, राधा साम्प्रदायिक|हिन्दु, सिख, जैन साम्प्रदायिक मन्दिर, देवालय, गुरुद्वारा साम्प्रदायिक, मुस्लिम, इसाई धर्मनिर्पेक्ष मस्जिद, चर्च धर्मनिर्पेक्ष, जय श्री राम साम्प्रदायिकता, नमस्कार साम्प्रदायिक, प्रणाम साम्प्रदायिक, सुर्य नमस्कार साम्प्रदायिक, बाबा रामदेव साम्प्रदायिकता, योग साम्प्रदायिक।
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इस सबके बावजूद टीम अन्ना का ये आन्दोलन एक मील का पत्थर भी है जिसने भावी जनांदोलनो को एक ऐसे दो राहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां सामान्य दृष्टी से दायाँ ही बायाँ नजर आने लगता है दूसरी ओर पूँजीवाद के इस इस सम्मोहन को दूर कर सकने वाली ताकतें बहुत कमजोर हैं ओर अपने आप को बचाना ही उनके लिए चुनोती बना हुआ है ऐसे में इस प्रकार के आन्दोलन से कुछ न कुछ सबक सिखना भी जरूरी है.
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इस सबके बावजूद टीम अन्ना का ये आन्दोलन एक मील का पत्थर भी है जिसने भावी जनांदोलनो को एक ऐसे दो राहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां सामान्य दृष्टी से दायाँ ही बायाँ नजर आने लगता है दूसरी ओर पूँजीवाद के इस इस सम्मोहन को दूर कर सकने वाली ताकतें बहुत कमजोर हैं ओर अपने आप को बचाना ही उनके लिए चुनोती बना हुआ है ऐसे में इस प्रकार के आन्दोलन से कुछ न कुछ सबक सिखना भी जरूरी है.