स्वास्थ्य-लाभ कराने वाला सलाहकार / सलाह देनेवाला घाव भरने वाला अपमृत्यु का कारण ज्ञात करनेवाला अफ़सर कल्याणकारी स्वास्थ्य-लाभ कराने वाला अपमृत्यु-विचारक
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दीपेश-अभिषेक अपमृत्यु घटना के समय पूज्य बापूजी गुरुपूर्णिमा सत्संग-दर्शन के जाहिर कार्यक्रम के निमित्त 4 से 6 जुलाई को नागपुर (महा.)
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है कि उक्त विधि के अनुसार दीपदान करते हुए यम का अर्चन किया जाता है तो अपमृत्यु का भय नहीं होता।
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यमदीप बर्हिदद्यादपमृत्युर्विनष्यति॥ गोत्र रात्रि यमपंचकारंभे शुभाशुभे त्रयगुण करः ॥ त्रयोदशी की शाम को अपमृत्यु के निवारण के लिए दीपक जलाना चाहिए।
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इस प्रकार मार्कण्डेय ऋषि सहित सप्तरिचजीवियों का स्मरण पूजन करके अपमृत्यु से रक्षा की प्रार्थना करते हुए शतायु (पूर्णायु) को प्रात्प होवें।
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संत श्री आशारामजी बापू आश्रमो मे नही होती कोई तांत्रिक क्रिया, दीपेश-अभिषेक अपमृत्यु केश मे तांत्रिक क्रिया के आरोपो की पोल खुली
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यह मान्यता है कि उक्त विधि के अनुसार दीपदान करते हुए यम का अर्चन किया जाता है तो अपमृत्यु का भय नहीं होता।
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जिस दिन भट्टतिरी की मृत्यु होनेवाली थी, उसके पिछले दिन तिरुवालूर देवालय में एक अशरीरी वाणी सुनाई दी, “कल यहां एक अपमृत्यु होगी।
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यह मान्यता है कि उक्त विधि के अनुसार दीपदान करते हुए यम का अर्चन किया जाता है तो अपमृत्यु का भय नहीं होता।
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किसी परिस्थिति में वक्री शनि भी बहुत अधिक लाभ देते हैं परन्तु यदि शनि द्वितीयेश या सप्तमेश हों तो अपमृत्यु दे सकते हैं।