बी0 म्यूज प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष संगीत, गायन एवं तबले की लिखित द्वितीय परीक्षा जो 30, 31 अगस्त, 2013 को होनी थी, अपरिहार्य कारण वश स्थगित कर दी गयी है।
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अपरिहार्य कारण व पहचान तथा उद्धेश्य की नेक नियति प्रमाणित किये बिना गमनागमन विचरण करनेवालों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता व प्रक्रिया के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
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इस के बाद हर पेशी पर पक्षकार को ही अदालत में हाजिर होना है, किसी अपरिहार्य कारण के होने पर भी किसी रिश्तेदार के माध्यम से ही अदालत में उपस्थिति माफ करने की अर्जी लगाई जा सकती है।
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मुख्यमंत्री का अम्बाह का भ्रमण कार्यक्रम स्थगित मुरैना 17 अगस्त 0 8 / प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का 18 अगस्त का मुरैना जिले के अम्बाह का भ्रमण कार्यक्रम अपरिहार्य कारण से स्थगित हो गया है ।
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मुरैना 16 नवम्बर 2007 / / मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मुरैना से प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 नवंबर को कलेक्टर कार्यालय के सभागार में आयोजित होने वाली जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक अपरिहार्य कारण से स्थगित कर दी गई है।
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|किन्ही अपरिहार्य कारण से ये पोस्ट भारतीय परम्परा का पालन करते हुए २४ घंटे लेट है जिसके लिए खेद है | शब्दों का सफर: प्रकांड, गैंडा और सरकंडाज्ञान दर्पण: चनाव प्रबंध, झगड़े और दलित उत्पीडनराजपुत वर्ल्ड: राष्ट्रगौरव महाराणा प्रतापसिंह जयंती का प्रकट निमंत्रण
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जय श्री राम............ | आदरणीय मित्रो,आप से कल रू-ब-रू होना था,मगर किसी अपरिहार्य कारण से न हो सके | आज हो रहे हैं,मगर आज अब वह चर्चा नहीं कर पाएँगे,जो कि करने को सोच रखी थी | अब हम यहाँ एक दूसरी बात करेंगे | जैसा कि आप को भली भाँति विदित हो ही चुका...
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सदस् य सचिव ने सभी उपस्थितों का स् वागत करते हुए सूचित किया कि किसी अपरिहार्य कारण से टॉलिक के अध् यक्ष, श्री अरुण बालकृष् णन बैठक में उपस्थित नहीं है अत: उन् होंने श्री उदय शंकर झा को बैठक की अध् यक्षता के अनुरोध को स् वीकारने के लिए धन् यवाद दिया ।
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जय श्री राम............ | आदरणीय मित्रो,आप से कल रू-ब-रू होना था,मगर किसी अपरिहार्य कारण से न हो सके | आज हो रहे हैं,मगर आज अब वह चर्चा नहीं कर पाएँगे,जो कि करने को सोच रखी थी | अब हम यहाँ एक दूसरी बात करेंगे | जैसा कि आप को भली भाँति विदित हो ही चुका
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यदि किसी अपरिहार्य कारण से ऐसा होना कदापि सम्भव न हो सके तो जिस नगर या गाँव में शरीर शान्त हो जाए, वहीं गायों के गाँव से जंगल की ओर जाने-आने के मार्ग (गोवा) अथवा नगर या गाँव से बाहर जहाँ गायें विश्राम आदि किया करती है, वहाँ इस शरीर का सूर्य की साक्षी में अन्तिम संस्कार कर देना चाहिए ।