उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार अनुत्पादक मदों और अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस धनरािश का अपव्यय करना चाहती है, जो पूरी तरह अनुचित होने के साथ-साथ संविधान की संघीय भावना के विपरीत भी है।
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अपने कमरे में ही चिराग जलते है, फिर यहां रखने से क्या लाभ? बेकार में तेल का अपव्यय करना भला कहां की अक्लमंदी है? ' उस महिला ने कहा-‘ यहां गली में रात को अंधेरा रहता है।
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क्या दुनिया की शेष समस्याए हल हो चुकी है, जो हर तरह के निरर्थक काम में शक्ति का अपव्यय करना चाहते हो? आखिर इस तरह निठल्ले बैठकर किसी के शक्ल-सूरत का ध्यान केन्द्रीत करने में समय बिताने के लिए आप बेचैन क्यों है?
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अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह, मेरा प्रश्न यह है कि क्या पानी में अपव्यय करने के संबंध में कोई हदीस है जिसमें है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं कि: आदमी के लिए पानी में अपव्यय करना उचित नहीं है, भले ही वह बहती नदी पर रहता हो ॽ
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साहित्य चोरी की इन वारदातों के कारण मुझे काफी परेशानियां हुई, खूब संघर्ष करने पड़े, परन्तु आज मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि ऐसे संघर्षों में पड़कर मानसिक तनाव पाल कर, समय और शक्ति का अपव्यय करना उचित नहीं होता क्योंकि राजनीतिज्ञ खजूर का इतना ऊंचा पेड़ा होता है कि उसके आगे साहित्यकार निपट बौना लगता है ।
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अतः शरीअत में वृद्धि करने को ग़ुलू, इफ्रात और बिद्अत कहा जाता है, तथा नमाज़ में कमी के द्वारा कोताही करना और पूरा न करना जफा और तफ्रीत कहा जाता है, इसी तरह खर्चों के अंदर भी अपव्यय करना और बेकार में खर्च करना, तथा कंजूसी और कमी करना जायज़ नहीं है, बल्कि इन सब के दरमियान बेहतरीन और सबसे अच्छा मामला उसके बीच का है, जैसाकि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फरमाया:
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यह तटस्थता या होशियारी मैं अपने निजी जीवन में थोड़ी बहुत लागू कर सका, जबकि बाकी तमाम लोग इसे दब्बूपन, कायरता, सुस्ती, पलायनवाद आदि-आदि कहते समझते रहे लेकिन अपने पिता और छोटे भाई को मैं कभी नहीं समझा पाया कि ज़मीन-जायदाद और मान-मर्यादा के लिए लड़ने-झगडने में समय, शक्ति और साधन का जो अपव्यय करना पड़ता है, उससे हमेशा एक ही मसल याद आती है कि ‘ टके की बुलबुल नौ टका हुसकाई।
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होली के बारे में ही देखें, तो आजकल-जबरन चंदा वसूल करना, राह चलते लोगों और वाहन चालकों को रोककर पैसे ऐंठना, ज़बरदस्ती रंग लगाना, गुलाल का अत्यधिक उपयोग होलिका के निकट शराब अथवा भांग पीकर अश्लील नृत्य करना एक-दूसरे पर कीचड़ फेंकना, एक-दूसरे को गंदे पदार्थ अथवा डामर लगाना पानी के गुब्बारे मारना लड़कियों के साथ छेड़छाड़ तथा उनसे असभ्य व्यवहार करना, देवी-देवताओ के मुखौटे धारण कर पैसे मांगना पानी का अपव्यय करना जैसी घटनाएं आम हो गई है।
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होली के बारे में ही देखें, तो आजकल-जबरन चंदा वसूल करना, राह चलते लोगों और वाहन चालकों को रोककर पैसे ऐंठना, ज़बरदस्ती रंग लगाना, गुलाल का अत्यधिक उपयोग होलिका के निकट शराब अथवा भांग पीकर अश्लील नृत्य करना एक-दूसरे पर कीचड़ फेंकना, एक-दूसरे को गंदे पदार्थ अथवा डामर लगाना पानी के गुब्बारे मारना लड़कियों के साथ छेड़छाड़ तथा उनसे असभ्य व्यवहार करना, देवी-देवताओ के मुखौटे धारण कर पैसे मांगना पानी का अपव्यय करना जैसी घटनाएं आम हो गई है।