20 में सात्विक दान की परिभाषा समझाते हुए कहा है कि-“ हमारे पर जो उपकार न कर शके ऐसे और दान के बदले में प्रति उपकार न कर शके ऐसे लोगों को, किसी भी अपेक्षा के बिना जो दान दिया जाता है, वही सात्विक दान माना जाता है ।
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राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में आज जो कुहासा छाया हुआ है इसका हल केवल राष्ट्रीय जनमानस के पास ही है नेताओं और संस्थानों से अपेक्षा के बिना जो मानवीय सैलाव सड़कों पर उतरा है उसे सही दिशा में ले जाते हुए सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय चेतना के रूप में परिवर्तित करने की क्षमता बुद्धिजीवी वर्ग में ही है..
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राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में आज जो कुहासा छाया हुआ है इसका हल केवल राष्ट्रीय जनमानस के पास ही है नेताओं और संस्थानों से अपेक्षा के बिना जो मानवीय सैलाव सड़कों पर उतरा है उसे सही दिशा में ले जाते हुए सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय चेतना के रूप में परिवर्तित करने की क्षमता बुद्धिजीवी वर्ग में ही है..