यदि अपोहन के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो अपोहन की प्रक्रिया अस्थाई होती है।
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यदि अपोहन के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो अपोहन की प्रक्रिया अस्थाई होती है।
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दोनों में से किसी भी विधि से निर्मित कलिलों के शोधन के लिए उन्हें मणिभाभ पदार्थ से अपोहन (डायालिसिस,
24.
डायलसिस में (तरल पदार्थों एवं रसायनों को पृथक करने के लिए) रक्त का अपोहन किया जाता है जिसे सामान्यतः गुर्दें करते हैं।
25.
क्रिस्टलीय पदार्थ पानी में विलेय हैं औरउनका शीघ्र अपोहन होता है किंतु कोलॉइडी पदार्थों का अपोहन या तो बिल्कुल नहींहोता अथवा धीरे-धीरे होता है.
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क्रिस्टलीय पदार्थ पानी में विलेय हैं औरउनका शीघ्र अपोहन होता है किंतु कोलॉइडी पदार्थों का अपोहन या तो बिल्कुल नहींहोता अथवा धीरे-धीरे होता है.
27.
यदि रोगी की गुर्दे इस स्थिति में न हो कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो अपोहन अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है।
28.
दोनों में से किसी भी विधि से निर्मित कलिलों के शोधन के लिए उन्हें मणिभाभ पदार्थ से अपोहन (डायालिसिस, dialysis) द्वारा पृथक क्रिया जाता है।
29.
कभी कभी, पश्च सम्पुटी आंसू या मंडलिका अपोहन की की वजह से एक परिखा आरोपण (सामने या सम्पुटी थैली के शीर्ष पर, लेकिन परितारिका के पीछे) की आवश्यकता हो सकती है.
30.
अपोहन या गुर्दे के प्रत्यारोपण के रूप में, की आवश्यकता तब पड़ती है, जब ग्लोमेरुलर शुद्धिकरण दर बहुत कम हो गई हो या जब वृक्कीय दुष्क्रिया के लक्षण बहुत अधिक गंभीर हों.