यह एक आश्चर्यजनक आंकड़ा है, इस तथ्य के मद्देनज़र कि पुल का 80 प्रतिशत निर्माण अप्रवाही जल में किया गया है।
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भूभाग में प्रविष्ट हुए अप्रवाही जल और उसके किनारों पर बसी जिन्दगी की झलक पाना केरल प्रवास का अहम हिस्सा होना चाहिए ।
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भारत समृद्ध रूप से नौगम् य जल मार्गों से परिपूर्ण है जिसमें नदियां, नहरें, अप्रवाही जल, संकरी खाड़ी आदि शामिल है।
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इसकी भौगोलिक विशेषताएं हैं: पहाड़ियां, घाटियां, मध् य प्रदेशीय मैदान, तटीय बेल् ट और अप्रवाही जल (बैक वाटर्स) ।
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इस समय गंगा-भागीरथी-हुगली नदी के कुछ हिस्सों, ब्रह्मपुत्र-बराक नदी, गोवा की नदियों, केरल के अप्रवाही जल और गोदावरी-कृष्णा नदी के डेल्टा क्षेत्रों तक नौसंचालन सीमित है।
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इस समायोजकता के अंतर्गत विविध द्वीपों को जोड़ने के लिए एनएच-47 पर एक फ्लाई-ओवर, 11 मुख्य पुल और अप्रवाही जल में एक छोटे पुल का निर्माण शामिल है।
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कोचीन पत्तन न्यास को अप्रवाही जल में 6. 70 कि.मी. जमीन के निकर्षण और तटबंध बनाने का काम सौंपा गया था जिसे उसने अगस्त 2009 में पूरा कर लिया था।
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केट्टुवल्लम से अप्रवाही जल का पोतविहार पूरा होने पर आपको यहाँ से वहाँ ले जाने के लिए आपका इंतज़ार करती किराए की एक टैक्सी होना एक उत्तम व्यवस्था है।
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देखने लायक एक स्थान अलिप्पेकुट्टनाड़, जो अपने धान की फसलों की प्रचुरता के कारण केरल का चावल की कटोरी कहलाता है, और अप्रवाही जल के ठीक ह्रदय में स्थित है।
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इस समायोजकता के अंतर्गत विविध द्वीपों को जोड़ने के लिए एनएच-47 पर एक फ्लाई-ओवर, 11 मुख्य पुल और अप्रवाही जल में एक छोटे पुल का निर्माण शामिल है।