इस नजीर में यह कहा गया है कि अभित्याग के लिए अलग रहने का स्थायी आशय साबित होना चाहिए।
22.
उक्त सिद्वान्त को दृष्टिगत रखते हुए अब यह विचार करना है कि क्या पत्नी अभित्याग के लिए दोषी है।
23.
अभित्याग का तात्पर्य एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष के साथ बिना किसी युक्तियुक्त कारण के रहने से इन्कार करना है।
24.
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के अन्तर्गत अभित्याग के आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त की जा सकती है।
25.
ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह लगे कि पत्नी ने बिना किसी उचित कारण के पति का अभित्याग कर रखा है।
26.
पत्नी द्वारा पति का घर छोड़ने का कोई स्थायी आशय नहीं था और इस आधार पर पत्नी को अभित्याग का दोषी नहीं माना गया।
27.
याची के अनुसार प्रत्यर्थी ने बिना किसी वैध कारण के एवं याची की सहमति व उसकी इच्छा के बिना याची का अभित्याग किया है।
28.
इस प्रकार उक्त सम्पूर्ण विवेचना तथा माननीय न्यायालयों द्वारा प्रतिपादित सिद्वान्तों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि पत्नी अभित्याग की दोषी नहीं है।
29.
जहां कोई पक्ष भावावेष अथवा कोध में किसी स्थायी भाव के अभाव में दूसरे पक्ष को त्याग देता है तो वह अभित्याग नहीं माना जाएगा।
30.
ऐसी स्थिति में यह माना गया कि पति अपनी ही गलतियों का लाभ नहीं उठा सकता है और पत्नी को अभित्याग का दोषी नहीं पाया गया।