संवत् 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म हुआ।
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संवत् १५५४ के श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ इस महान आत्मा ने मनुष्य योनि में जन्म लिया।
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संवत् 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म हुआ।
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संवत १५५४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान् दम्पति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात् गोस्वामी जी का जन्म हुआ ।
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क्योकि कहीं बस गई भूमि पर वे माताएँ बनकर, रसलोलुप् दृष्टियाँ सिद्ध, तेजोनिधान देवॉ की लोटेंगी किनके कपोल, ग्रीवा, उर के तल्पॉ पर? हम कुछ नहीं, रंजिकाएँ हैं मात्र अभुक्त मदन की.
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संवत् १ ५५ ४ के श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान दम्पति के यहाँ इस महान आत्मा ने मनुष्य योनि में जन्म लिया।
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1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वयंसेवी अभुक्त दाताओं से सभी रक्तदान किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, पर्याप्त आपूर्ति बनाये रखने के लिए कुछ देश पदत्त दाताओं पर भरोसा करते हैं.
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संवत १ ५५ ४ की श्रावण शुकला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में इन्हीं भाग्यवान् दम्पति के यहाँ बारह महीने तक गर्भ में रहने के पश्चात् गोस्वामी जी का जन्म हुआ ।
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एक अभुक्त प्रारब्ध, एक अनबुझ अतृप्ति या बस एक आत्मतुष्टि / इगो का क्षणिक सेन्सेशन??.. ' ड्रम्स ऑव हीवेन ' को खाते रहना उन स्मृतियों को जिंदा रखना है..
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अधिकतर लोगों का मानना है कि उनका जन्म सम्वत् १ ५५ ४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में बाँदा जिले के राजा पुर नामक स्थान गाँव में हुआ था।