जिसका अर्थ है सम्प्रेसन द्वारा किसी के भावनाओ को उसके विचारो एवं अनुभूतियो को खोलकर पढ़कर देखकर नियंत्रित करना! जनसंचार का अर्थ बताना चलाना फैलाना भी है मूलतः तीन तत्वों से संचार की सरंचना होती है १)
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केशव जी, आपका हार्दिक धन्यवाद, मैं समझ गया, पहले मुझे अर्थ बताना चाहिये था फिर उसकी संदर्भ के हिसाब से व्याख्या करनी चाहिये थी...आइंदा ध्यान रखूंगा....आप मुझसे वरिष्ठ हैं, और आपकी सलाह और आज्ञा दोनो शिरोधार्य है.....एक बार फिर से धन्यवाद.
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एउजेनियो ” नाम का क्या अर्थ है यह तो नहीं मालूम मुझे, शायद उसे खुद भी नहीं मालूम हो! पर आप की बात ठीक है, अगर विदेशी भाषा में कुछ लिखें तो उसका अर्थ बताना भी आवश्यक है. सुनील
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पारिवारिक आराधना की आवश् यकता पारिवारिक आराधना की आवश् यकता ‘‘ जब तुम इ कट्ठे होते हो, तो हर एक के ह्रदय मे भजन, या उपदेश या अन् य भाषा, या अन् य भाषा का अर्थ बताना रहता है:
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जिसका अर्थ है सम्प्रेसन द्वारा किसी के भावनाओ को उसके विचारो एवं अनुभूतियो को खोलकर पढ़कर देखकर नियंत्रित करना! जनसंचार का अर्थ बताना चलाना फैलाना भी है मूलतः तीन तत्वों से संचार की सरंचना होती है १) संचालक २) सन्देश ३) प्राप्तकर्ता
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सेवा: गायाभी जाता है-कन्या वह जो 21 कुल का उद्धार करे, 21 जनम का सुख दे | हम भारत की सच्ची रूहानी सेवा कर रहे हैं इसलिए गायन है शिव शक्ति सेना | शिवरात्रि का अर्थ बताना चाहिए | रावण वाला पोस्टर भी ले जाना चाहिए | कन्याओं की बुद्धि अच्छी होती है |
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हम उन्हे आस्था की ओर भले न परावर्तित करे लेकिन इस युवा पीढ़ी को शक्ति की उपासना का अर्थ बताना ज़रूरी है विशेषकर मातृ शक्ति के महत्व का और उसमे भी युवकों को ताकि वे भविष्य मे न केवल अपनी माता-बहनो व पत्नी का सम्मान करें बल्कि प्रत्येक स्त्री मे शक्ति का वास मानकर उसका सम्मान करें ।
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पर जब केवल नाक से आवाज़ निकलती है, तो अनुस्वार बिंदु (ं) लगाया जाता है और जब नाक और मुँह दोनों से आवाज़ निकलती है, तो अर्धचंद्र बिंदु (ँ) लगाया जाता है! अब स्वयं बोलकर देखिए! रंग, संग, भंग, हंस, वंश, आंजनेय, प्रांजल, अंचल, आँचल, माँग, कंप, काँप, भाँप, दंत, दाँत, संबंध, राँध, रंध्र, गाँठ, डंठल इत्यादि! अर्थ बताना तो अभी भी आपके लिए ही छोड़ा जा रहा है!
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का व्याख्या सहित अर्थ बताना पड़ा था और शुरआती दौर में मैने जब अपने भईया से पूँछा कि चारागर का मतलब क्या होता है तो उनके बैद्य बताने पर हमने सुना बैल और समझ भी लिया कि चारा खाने के कारण ही उसे ऐसा कहा जाता है लेकिन जब वो मिसरों पर फिट न बैठे तो हम हैरान हो जाते थे, अनूप जी कहाँ पीछे रहने वाले थे उन्होने भी तुरंत अपने अनुभव बँटाये और बताया कि एक बार किसी के कविता याद कराने के अनुरोध पर उसे जब कन्हैया लाल जी की कविता