यह अमृत से भरे महासागर के मध्य पीले कमल के सुनहरे सिंहासन पर विराजमान है. इनके सिर पर अर्ध चन्द्र शोभित है.ये दाहिने हाथ मे गदा धारण किए हुए है जिससे यह असुरो को पराजित करती है.बायी हाथ से उसकी जीभ को खीचती है.इनकी यह छवि कभी-कभी क्रूरता का प्रदर्शन करती है.यह किसी भी शत्रू को शक्तिहीन और लाचार करके खत्म करती है.यह बगलामुखी साधक के लिए एक वरदान की तरह है.
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भगवान शिव का नाम चंद्रशेखर भी है जिसका अर्थ हुआ, इनके शिखर पर चन्द्र है जो अर्ध चन्द्र ही होता है | यही अर्ध चन्द्र और बिन्दु जैन धर्मावलम्बियों के मंदिरों, जिसे देरासर कहते हैं, में पूजा करने के विधान में स्वस्तिक चिन्ह तथा अर्ध चन्द्र और बिन्दु के चिन्ह द्वारा पूजा का प्रावधान है | जिसे वे शिद्ध शिला कहते हैं | जिव तीर्थंकर होकर उसी पर विराजता है |
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भगवान शिव का नाम चंद्रशेखर भी है जिसका अर्थ हुआ, इनके शिखर पर चन्द्र है जो अर्ध चन्द्र ही होता है | यही अर्ध चन्द्र और बिन्दु जैन धर्मावलम्बियों के मंदिरों, जिसे देरासर कहते हैं, में पूजा करने के विधान में स्वस्तिक चिन्ह तथा अर्ध चन्द्र और बिन्दु के चिन्ह द्वारा पूजा का प्रावधान है | जिसे वे शिद्ध शिला कहते हैं | जिव तीर्थंकर होकर उसी पर विराजता है |
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भगवान शिव का नाम चंद्रशेखर भी है जिसका अर्थ हुआ, इनके शिखर पर चन्द्र है जो अर्ध चन्द्र ही होता है | यही अर्ध चन्द्र और बिन्दु जैन धर्मावलम्बियों के मंदिरों, जिसे देरासर कहते हैं, में पूजा करने के विधान में स्वस्तिक चिन्ह तथा अर्ध चन्द्र और बिन्दु के चिन्ह द्वारा पूजा का प्रावधान है | जिसे वे शिद्ध शिला कहते हैं | जिव तीर्थंकर होकर उसी पर विराजता है |
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यदि आप आजीविका के क्षेत्र में बारबार अवरोध अनुभव कर रहे हैं, कार्यक्षेत्र में अधिकारी वर्ग से सम्बंधों में बिगाड उत्पन्न हो रहा हो अथवा पिता से तनावपूर्व स्थितियों का सामना करना पड रहा हो, तो इसके लिए आप सर्वप्रथम लगातार 21 सोमवार तक शिवमंदिर में कर्पूर और कच्चा दूध चढायें तथा अन्तिम 21वें सोमवार को भगवान आशुतोष शिव को रात्रि 9 से 12 बजे के मध्य चाँदी का अर्ध चन्द्र भी अर्पित करें.