उसी अलिंग शिव से पंच ज्ञानेद्रियाँ, पंचकर्मेन्द्रियाँ, पंच महाभूत, मन, स्थूल सूक्ष्म जगत उत्पन्न होता है और उसी की माया से व्याप्त रहता है।
22.
हाइपोथायरायडिज्म कभी कभी आनुवंशिकी के परिणामस्वरूप भी होता है, कभी कभी यह अलिंग गुणसूत्र (autosomal) पर अप्रभावी लक्षण (recessive) के रूप में उपस्थित होता है.
23.
लिंग रहस्य और लिंगोपासना के बारे में स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है, उसके अनुसार भगवान महे वर अलिंग हैं, प्रकृति प्रधान लिंग है-
24.
लिंग रहस्य और लिंगोपासना के बारे में स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है, उसके अनुसार भगवान महेश्वर अलिंग हैं, प्रकृति प्रधान लिंग है-
25.
वह शिव ही त्रिदेव के रूप में सृष्टि का उद्भव पालन तथा संहार करता है वही अलिंग शिव योनी तथा वीज में आत्मा रूप में अवस्थित रहता है।
26.
वह शिव ही त्रिदेव के रूप में सृष्टि का उद्भव पालन तथा संहार करता है वही अलिंग शिव योनी तथा वीज में आत्मा रूप में अवस्थित रहता है।
27.
उसी अलिंग शिव से पंच ज्ञानेद्रियाँ, पंचकर्मेन्द्रियाँ, पंच महाभूत, मन, स्थूल सूक्ष्म जगत उत्पन्न होता है और उसी की माया से व्याप्त रहता है।
28.
वह शिव ही त्रिदेव के रूप में सृष्टि का उद्भव पालन तथा संहार करता है वही अलिंग शिव योनी तथा वीज में आत्मा रूप में अवस्थित रहता है।
29.
वह शिव ही त्रिदेव के रूप में सृष्टि का उद्भव पालन तथा संहार करता है वही अलिंग शिव योनी तथा वीज में आत्मा रूप में अवस्थित रहता है।
30.
क्रिया कि विशेषण (किया-विशेषण) भी स्थानीय आधार (यानी, वचनहीन अलिंग रहने वाली क्रिया का विशेषण होने से) पर अव्यय बन जाते हैं, अतः उनमें भी अलिंगता आ जाती है।