कैथोलिक पूजा यूकेरिस्ट पर केंद्रित है जिसमें गिरजाघर सिखाता है कि रोटी और शराब यीशू मसीह के शरीर और रक्त में अलौकिक रूप से रूपांतरित हैं.
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इस दर्पण का संबंध धार्मिक आस्था से है जैसा कि पौराणिक कथा में वर्णन है कि यह कला अर्नमूल पार्थासार्थीमन्दिर के शिल्पीकारों में अलौकिक रूप से उत्प्रेरित की गई थी।
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नया जन्म में क्या होता है? नया जन्म में, विश्वास की मार्फत हमें यीशु मसीह से जोड़ने के द्वारा, ‘पवित्र आत्मा' अलौकिक रूप से हमें नया आत्मिक जीवन देता है।
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हालांकि विशिष्ट रूप से इनका वर्णन मरे हुए किन्तु अलौकिक रूप से अनुप्राणित जीवों के रूप में किया गया, कुछ अप्रचलित परम्पराएं विश्वास करती थीं कि पिशाच (रक्त चूषक) जीवित लोग थे.
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हालांकि विशिष्ट रूप से इनका वर्णन मरे हुए किन्तु अलौकिक रूप से अनुप्राणित जीवों के रूप में किया गया, कुछ अप्रचलित परम्पराएं विश्वास करती थीं कि पिशाच (रक्त चूषक) जीवित लोग थे.[1][2][3]
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अतः पिछली बार के हमारे दो बिन्दुओं को एक साथ रखते हुए, जो नीकुदेमुस को आवश्यक था, जैसा यीशु ने कहा, वो था पवित्र आत्मा के द्वारा अलौकिक रूप से प्रदान किया गया नया जीवन।
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ऐसी ही इस सुंदर रचनात्मक अनुभूति के रचयिता श्री विजय जी ने बड़े अनोखे ढंग से अपने अँदर के लहलहाते भावों के सागर को, शब्दों का सहारा लेकर अलौकिक रूप से व्यक्त किया है.
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विमान यहाँ से उड़ता हुआ उस स्थान पर उतरा, जहाँ एक स्वर्ण जटित, भासितरत्नों की आभा से मंडित मनोरम सिंहासन पर दैदीप्यमान वस्त्रों एवं रमणीय अलंकारों से अलंकृत तथा अपने अलौकिक रूप से दसों दिशाओं को प्रकाशित करती हुई एक महिमामंडित देवी विराजमान थीं।
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उक्त दोनों कविताएँ भिन्न विषयों पर हैं, फिर भी एक सार्वभौमिक मानव-मन से साक्षात्कार कराती हैं, जिन में अगर पंजाबी कवियत्री अमृता प्रीतम की निम्न पंक्तियाँ जोड़ें तो लगे कि पूरी मानव जाति आपस में जुड कर बेहद अलौकिक रूप से एक ही पदार्थ में बदल गई है: