यह देश में अल्पपोषण की व्यापक व्याप्ति को तथा लोगों के जीवन की गुणवत्ता और उत्पादकता पर उसके घातक प्रभाव की समस्या को हल करने की ज़रूरत पर बल देती है।
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एक ऐसे मुल्क में जहां कुल स्कूली छात्रों में से पचास फ़ीसद अल्पपोषण के शिकार हैं, वहां ये योजना भूख और निरक्षरता की समस्या से निबटने का अहम ज़रिया है.
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देश गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, अल्पपोषण व खाद्यान संकट की ज्वाला में धधक रहा है, जो आतंकवाद, गुण्डागर्दी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, हेराफेरी व तस्करी जैसी अवांछनीय गतिविधियों के बढ़ावा देने के लिए भी जिम्मेदार है।
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इस बारे में ‘ नैक्डोर ' के अध्यक्ष अशोक भारती ने कहा कि दलितों के 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे अल्पपोषण और कुपोषण की वज़ह से अनीमिया और ठीगनेपन के शिकार होते हैं.
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उसने कहा. “यह जरूरी नहीं उम्र बढ़ने अल्पपोषण से संबंधित समस्या हो सकती है, विशेष रूप से लोहे की कमी हालांकि, लौह अनुपूरण प्रयोगशाला काम और एक डॉक्टर के आदेश के बिना शुरू नहीं किया जा चाहिए.”
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देश गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, अल्पपोषण व खाद्यान संकट की ज्वाला में धधक रहा है, जो आतंकवाद, गुण्डागर्दी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, हेराफेरी व तस्करी जैसी अवांछनीय गतिविधियों के बढ़ावा देने के लिए भी जिम्मेदार है।
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प्रमस्तिष्कीय प्रधान शरीर निर्माण = शिशु का जीवन माता के गर्भावस्था में और उसके बाद शैशवावस्था में दोषपूर्ण अल्पपोषण आहार से बालक को मानसिक विकास तथा शारीरिक विकास को अवरुद्ध ही नही करता बल्कि बीमार होने की सम्भावनाए भी बढा देता है.
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इसकी पुष्टि इससे होती है कि उनकी क्रीड़ात्मक व्यवहार की प्रवृत्ति भूख, अल्पपोषण तथा उच्च परिवेशी तापमान की अवस्था में, शरीर का तापमान बढ़ा या मस्तिष्क की सक्रियता को मंद कर देनेवाले रासायनिक द्रव्यों के प्रभाव की अवस्था में अवरुद्ध हो जाती है।
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भारत अनेक गंभीर समस्याओं से ग्रस्त है जैसे कि गरीबी, तेजी से बढ़ती असमानता, कुपोषण, अल्पपोषण, नवजात मृत्यु दर, बीमारियां, साफ-सफाई, पेयजल, भोजन, शिक्षा, किसानों की आत्महत्याएं, बढ़ती आपराधिकता और इसी तरह की समस्याएं.
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औसतन, प्रति वर्ष 62 मिलियन व्यक्तियों की मृत्यु होती है, जिसमे से 36 मिलियन (58 प्रतिशत) की मृत्यु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पोषक तत्वों के अभाव, संक्रमण, महामारी और ऐसी बीमारियों के कारण होती है जो उस समय शरीर पर आक्रमण करती है जब अल्पपोषण और भूख के कारण उसकी प्रतिरोध और प्रतिरक्षा क्षमताएं अत्यंत क्षीण हो चुकी होती हैं.”