और सहगल साहब की इस झूठी चाहत नें उनका सर्वनाश कर दिया, और १८ जनवरी १९४७ को ४२ वर्ष की आयु में वो इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अल्विदा कह दिया।
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जो ममता की चौखट पे कुरबां हुये कल् कई दीप यादों मे फिर झिलमिलाये मुबारक खुशी अल्विदा गम तुझे हो कभी फिर न जीवन मे तू लौट आये वाह बहुत सुन्दर शेर हैं ।
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अनुपमा जी बात प्रारम्भ करती हैं करण जौहर की नयी फ़िल्म “कभी अल्विदा न कहना से” जिसमें पति परमेश्वर मानने वाली स्त्री पात्र के बदले में एक विवाहित पुरुष के एक विवाहित स्त्री से प्रेम की कहानी है.
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और सहगल साहब की इस झूठी चाहत नें उनका सर्वनाश कर दिया, और १ ८ जनवरी १ ९ ४ ७ को ४ २ वर्ष की आयु में वो इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए अल्विदा कह दिया।
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' वान्टेड ' के गानें तो ज़्यादातर आइटम सॊंग् स् ही थे, और ' मैं और मिसेस खन्ना ' में सोनू-श्रेया के गाए “ डोंट से अल्विदा ” में भी ' मुझसे शादी करोगी ' की याद आती रही।
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अनुपमा जी बात प्रारम्भ करती हैं करण जौहर की नयी फ़िल्म “ कभी अल्विदा न कहना से ” जिसमें पति परमेश्वर मानने वाली स्त्री पात्र के बदले में एक विवाहित पुरुष के एक विवाहित स्त्री से प्रेम की कहानी है.
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सहसा उसने अपने हाथ में पकड़ा रूमाल मेरी ओर बढ़ाते हुए बुझे स्वर मेें कहा-इसे हमेशा अपने पास सम्हाल कर रखना ये तुम्हें इन लम्हों के साथ सदा मेरी याद दिलाता रहेगा! अल्विदा! मैंने सोचा था मैं उसकी तरफ से शायद निरूत्तर ही रह जाऊंगा।
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उसके बाद ' मिशन कश्मीर', 'दिल चाहता है', 'कल हो ना हो', 'लक्ष्य', 'अरमान', 'क्यों हो गया ना!', 'फिर मिलेंगे', 'रुद्राक्ष', 'एक और एक ग्यारह', 'कभी अल्विदा ना कहना', 'झूम बराबर झूम', 'बण्टी और बबली', 'रॉक ऑन' जैसी फ़िल्मों ने इस तिकड़ी को बेहद लोकप्रिय संगीतकारों की कतार में शामिल कर लिया।
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अनुपमा जी बात प्रारम्भ करती हैं करण जौहर की नयी फ़िल्म “कभी अल्विदा न कहना से” जिसमें पति परमेश्वर मानने वाली स्त्री पात्र के बदले में एक विवाहित पुरुष के एक विवाहित स्त्री से प्रेम की कहानी है. कल्पना जी लिखती हैं, “जौहर जैसे फ़िल्म निर्माता इसलिए उन प्रश्नों से जूझ रहे हैं जैसे आत्मीयता (
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सुजॊय-अच्छा, नीरंजन अय्यंगर ने इस फ़िल्म के गानें भी लिखे हैं ना? सजीव-हाँ, वैसे तो नीरंजन एक संवाद लेखक ही हैं, जिन्होने 'जिस्म', 'कल हो ना हो', 'पाप', 'रोग', 'कभी अल्विदा ना कहना', 'आइ सी यू', 'क्या लव स्टोरी है', 'फ़ैशन', 'वेक अप सिड' और 'कुरबान' जैसी फ़िल्मों में संवाद लिख चुके हैं।