अवटु ग्रंथि की सबसे सामान्य समस्याएँ अवटु ग्रंथि की अतिसक्रियता (हाइपरथाइरॉयडिज़्म) और अवटु ग्रंथि की निम्नसक्रियता (हाइपोथाइरॉयडिज़्म) हैं।
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अवटु ग्रंथि की सबसे सामान्य समस्याएँ अवटु ग्रंथि की अतिसक्रियता (हाइपरथाइरॉयडिज़्म) और अवटु ग्रंथि की निम्नसक्रियता (हाइपोथाइरॉयडिज़्म) हैं।
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जब अवटु ग्रंथि बहुत अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है तो शरीर, उर्जा का उपयोग मात्रा से अधिक करने लगता है।
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जब अवटु ग्रंथि बहुत अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है तो शरीर, उर्जा का उपयोग मात्रा से अधिक करने लगता है।
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मूलग्रीवा सीधी ग्रीवा में ऊपर जाकर अवटु उपास्थि (thyroid cartilage) की ऊर्ध्व धारा पर बाह्य और अंत:ग्रीवा शाखाओं में विभक्त हो जाती हैं।
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सम्मुख भाग के ऊपर की ओर अवटु उपास्थि का निम्नभाग और नीचे की ओर श्वासनली का ऊर्ध्वभाग श्लेष्म झिल्ली द्वारा जुड़ा रहता है।
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सम्मुख भाग के ऊपर की ओर अवटु उपास्थि का निम्नभाग और नीचे की ओर श्वासनली का ऊर्ध्वभाग श्लेष्म झिल्ली द्वारा जुड़ा रहता है।
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यह द्विपिंडक रचना निम्न ग्रीवा में अवटु उपास्थि (थाइरॉयड कार्टिलेज़) स्वरयंत्र के नीचे वलयाकार उपास्थि (क्राइकॉइड कार्टिलेज़) के लगभग समान स्तर पर स्थित होती है।
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यह द्विपिंडक रचना निम्न ग्रीवा में अवटु उपास्थि (थाइरॉयड कार्टिलेज़) स्वरयंत्र के नीचे वलयाकार उपास्थि (क्राइकॉइड कार्टिलेज़) के लगभग समान स्तर पर स्थित होती है।
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ये अवटु ग्रंथि के सम्यक, कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन थांयरांक्सीजन की कमी पूरी करती है।