| 21. | साधन अविद्या का नाश करते हैं ब्रह्म का
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| 22. | तुम्हैं भव बीच डारत है अविद्या छाय,
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| 23. | अपेक्षा भाव अविद्या मार्ग है और अनन्त है।
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| 24. | अविद्या का नाश कर, वेद का प्रकाष किया
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| 25. | ” विद्या क्या और अविद्या क्या? ”
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| 26. | सिर्फ़ अविद्या का अवच्छेद नष्ट हो जाता है।
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| 27. | अविद्या ही सत्त्व, रजस व तमस है ।
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| 28. | दूरमेते विपरीत विषूची अविद्या या च विद्येति ज्ञाता।
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| 29. | अशुद्ध सत्त्व की प्रधानता को ' अविद्या '
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| 30. | भक्ति करनेसे संसृति (जन्म-मृत्युरूप संसार) की जड़ अविद्या
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