बहरहाल, आदिवासियों को उनके आजीविका के साधनों, जीवन का आधार और अविवादित रूप से उनकी अपनी संपत्ति-इन जंगलों से महरूम करने वाले इसी व्यवस्था के गोरखधंधा को धूमिल ने अपनी कविता पटकथा में यों व्यक्त किया है कि “ एक ही संविधान के नीचे...
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इस दृष्टिकोण से भी जबकि प्रथम दृष्ट्या वादी तथा प्रतिवादीगण संख्या 2 ता 4 अविवादित रूप से भूखण्ड संख्या 489 के स्वामी तथा उस पर अध्यासित हैं ऐसी दशा में इसके सम्पूर्ण क्षेत्रफल के सम्बंध में याचित अस्थायी निषेधाज्ञा के अनुतोष को अस्वीकृत करने सम्बंधी आलोच्य आदेश दिनांकित 20. 4.05 पक्षों के स्वीकृत तथ्यों के प्रतिकूल तथा त्रृटिपूर्ण है।
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बहरहाल, आदिवासियों को उनके आजीविका के साधनों, जीवन का आधार और अविवादित रूप से उनकी अपनी संपत्ति-इन जंगलों से महरूम करने वाले इसी व्यवस्था के गोरखधंधा को धूमिल ने अपनी कविता पटकथा में यों व्यक्त किया है कि “ एक ही संविधान के नीचे...भूख से रिरियाती हुई फैली हथेली का नाम...'दया है'...और भूख में...तनी हुई मुट्ठी का नाम...नक्सलवाड़ी है।
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आलोचकों ने दीज़ डेज़ पर भी बहुत कुछ वैसी ही प्रतिक्रिया व्यक्त की जैसी प्रतिक्रिया उन्होंने कीप द फेथ पर व्यक्त की थी, उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने संगीत को अविवादित रूप से अपने मूल रूप में बनाए रखने के साथ-साथ, गीति काव्य की दृष्टि से बॉन जोवी का परिपक्व होना और संगीत की विभिन्न शैलियों का पता लगाना भी जारी था.
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आलोचकों ने दीज़ डेज़ पर भी बहुत कुछ वैसी ही प्रतिक्रिया व्यक्त की जैसी प्रतिक्रिया उन्होंने कीप द फेथ पर व्यक्त की थी, उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने संगीत को अविवादित रूप से अपने मूल रूप में बनाए रखने के साथ-साथ, गीति काव्य की दृष्टि से बॉन जोवी का परिपक्व होना और संगीत की विभिन्न शैलियों का पता लगाना भी जारी था.