उनमें से कतिपय ने इस आशंका का भी उद्भावन किया कि ' जो कर्म का आश्रय हो वह द्रव्य है '-यदि कणाद सूत्र का केवल यही एक घटक द्रव्य का लक्षण माना जाएगा, तो इसमें अव्याप्ति दोष आ जायेगा, क्योंकि आकाश, काल और दिक भी पदार्थ हैं जबकि वे निष्क्रिय हैं, उनमें कर्म होता ही नहीं है।