मुस्कुराते परसाद वहाँ से हट जाते-ब्राह्मण भोजन, नजर पड़ जाय तो पाप शाप, घोर अशुद्ध! बबुनवा के बड़े होने पर बाबू घोर अशुद्ध के अशुद्ध प्रयोग पर टीका टिप्पणी कर उसे दोष के गुण बताने लगे।
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स्कूलों में जाने पर अध्यापक उलाहना देते हैं कि आप अपने अखबार में शब्दों के, वाक्यों के नियामक और मानक रूप के स्थान पर जो अशुद्ध प्रयोग करते हैं उससे हमारे शिक्षार्थियों का अक्षर ज्ञान गड़बड़ाने लगा है।
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ग़िलाफ़ स्थानान्तरित करना फैल जाना तीखा टाँग मारना बाँधने की जगह खीसकाना असलियत चोरी-छिपे देखना चिकने पृष्ठों वाली पत्रिका फिसलना कम होना प्रमाद चुपके से आना जाना लापरवाही अशिष्टता सोना भूल करना जोड़ उखाड़ना सीट स्ट्रीप झटके से घुमाना मक्कारी अशुद्ध प्रयोग खिलौना भाल् काँपना
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खिलौना भाल् काँपना चालबाज़ी ग़िलाफ़ स्थानान्तरित करना फैल जाना तीखा टाँग मारना बाँधने की जगह खीसकाना असलियत चोरी-छिपे देखना चिकने पृष्ठों वाली पत्रिका फिसलना कम होना प्रमाद चुपके से आना जाना लापरवाही अशिष्टता सोना भूल करना जोड़ उखाड़ना सीट स्ट्रीप झटके से घुमाना मक्कारी अशुद्ध प्रयोग
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फ्रतेल् लो रवीश, जिम् मेदार पद पर रहकर आप ऐसी गैर-जिम् मेदार बात कैसे कर सकते हैं! शब् दों का अशुद्ध प्रयोग दोष ही नहीं, आत्मिक पतन का भी कारण होता है (अच् छी हिंदी, रामचंद्र वर्म् मा, साहित् य रत् न-माला कार्यालय, वाराणसी).
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पिन्हाने, सपन, तिराने (१ ७ ४), लंगौटा (१ ६ ७), तयारी (२ ४ ३), रस्ते (२२ ३), तयार (२ ० ४) आदि अशुद्ध प्रयोग विराट की संस्कारी हिन्दी के मखमल में टाट का पैबंद लगते हैं.