घोड़े बहुत कीमती थे. अश्वपाल ने जब वापस लौटकर इस बारे में राजा विक्रमादित्य को बताया तो वह खुद आकर एक सुन्दर और शक्तिशाली घोड़ा पसंद किया.
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वह एक और समय था जब भरथरी-पिंगला की कथा में यह अश्वपाल खलनायक की तरह दिखाई देता था और पिंगला के मन में इसके प्रति उमड़ा प्रेम कोरी वासना।
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वह एक और समय था जब भरथरी-पिंगला की कथा में यह अश्वपाल खलनायक की तरह दिखाई देता था और पिंगला के मन में इसके प्रति उमड़ा प्रेम कोरी वासना।
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इश्क नहीं देखै जात-कुजात, प्यास नहीं देखै धोबी घाट बांधी जब निंदरा झुकै तो कोई लखैन टूटी खाट, बांधी से बतड़ाय पिंगला बैठ झरोकन में और वा अश्वपाल असवार नचा रियौ घोड़ा चौकन में।
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कर्मियों में एक बावर्ची भी शामिल होता, जो एक भोजन वाहन चलाया करता, आम तौर पर जिस पर एक बैल जुता होता, और एक अश्वपाल होता जिसके जिम्मे रेमुडा (घुडसाल) या अतिरिक्त घोड़ों का तबेला हुआ करता.
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कर्मियों में एक बावर्ची भी शामिल होता, जो एक भोजन वाहन चलाया करता, आम तौर पर जिस पर एक बैल जुता होता, और एक अश्वपाल होता जिसके जिम्मे रेमुडा (घुडसाल) या अतिरिक्त घोड़ों का तबेला हुआ करता.
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अश्वपाल ने जब वापस लौटकर इस संबंध में बताया तो राजा ने स्वयं आकर एक सुंदर व शक्तिशाली घोड़े को पसंद किया. घोड़े की चाल देखने के लिए राजा उस घोड़े पर सवार हुआ तो वह घोड़ा बिजली की गति से दौड़ पड़ा.
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विक्रमादित्य से बदला लेने के लिए एक दिन शनिदेव ने घोड़े के व्यापारी का रूप धारण किया और बहुत से घोड़ों के साथ उज्ज्यिनी नगरी में पहुंचे. राजा विक्रमादित्य ने राज्य में किसी घोड़े के व्यापारी के आने का समाचार सुना तो अपने अश्वपाल को कुछ घोड़े खरीदने के लिए भेजा.
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मवेशियों के हांक अभियान के समय अश्वपाल अक्सर बहुत ही जवान काउबॉय हुआ करता या निम्न सामाजिक दर्जे का, लेकिन बावर्ची विशेष रूप से कर्मी दल का एक बहुत ही सम्मानित सदस्य होता, जो न केवल भोजन का प्रभारी होता, बल्कि उसके जिम्मे चिकित्सा आपूर्ति भी हुआ करती और उसे प्रायोगिक औषधि का कामचलाऊ जानकारी भी हुआ करती थी.
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मवेशियों के हांक अभियान के समय अश्वपाल अक्सर बहुत ही जवान काउबॉय हुआ करता या निम्न सामाजिक दर्जे का, लेकिन बावर्ची विशेष रूप से कर्मी दल का एक बहुत ही सम्मानित सदस्य होता, जो न केवल भोजन का प्रभारी होता, बल्कि उसके जिम्मे चिकित्सा आपूर्ति भी हुआ करती और उसे प्रायोगिक औषधि का कामचलाऊ जानकारी भी हुआ करती थी.