| 21. | (गा. 126-27) “असत्यवादी पापी और असंयमी कषायधारी भिक्षु प्रमादी, परधरसेवी, मिथ्यादृष्टि आदि सब नरकगामी है”
|
| 22. | असंयमी, अश्रद्धालु व संशयात्मा कितने ही तीर्थों की खाक छान ले, उसे पुण्य नहीं मिलता।
|
| 23. | आज का मनुष्य जितना अधिक अधीर एवं असंयमी है उतना शायद पहले कभी नहीं रहा।
|
| 24. | मूढ़, आलसी, असंयमी और दुराचारी तो इनमें से एक की भी प्राप्ति नहीं कर सकता।
|
| 25. | (गा. 126-27) “असत्यवादी पापी और असंयमी कषायधारी भिक्षु प्रमादी, परधरसेवी, मिथ्यादृष्टि आदि सब नरकगामी है”
|
| 26. | समय के असंयमी ही अल्पजीवी कहलाते हैं, भले ही उनकी आयु कुछ भी हो।
|
| 27. | आज का मनुष्य जितना अधिक अधीर एवं असंयमी है उतना शायद पहले कभी नहीं रहा।
|
| 28. | काश वो थोडे असंयमी और कमजोर होते ताकि मेरी भावनाओ व मेरे आसुओं का ख्याल रखते!
|
| 29. | उत्तेजक विचार और राजसी व तामसी खान-पान निश्चित रूप से इंसान को असंयमी और रोगी बनाते हैं।
|
| 30. | कामवृत्ति और चोरी जैसे अनैतिक विचारों पर संयम रखिएगा क्योंकि असंयमी होने से कार्य बिगड़ सकते हैं।
|