| 21. | हे देवेश! हे जगन्निवास! जो सत्, असत्
|
| 22. | कैसे रह जायगा? असत् तो परिवर्तनशील है ।
|
| 23. | यशवन्त कोठारी का व्यंग्य उपन्यास: असत्
|
| 24. | सत् और असत् का शाश्वत द्वन्द्व इस रूपक के
|
| 25. | कि क् या सत् य है और असत् य।
|
| 26. | असत् पदार्थों की और दृष्टि रहेगी तो विषमता बढ़ेगी।
|
| 27. | असत् का त्याग वर्तमान में हो सकता है ।
|
| 28. | परंतु “केवल सत्” या “सन्मात्र” वस्तुत: असत् सदृश है।
|
| 29. | जगत् केवल नामरूप और असत् सही पर ये नामरूपात्मक
|
| 30. | सत् और असत् के संबंध में भी दोष नहीं
|