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अस्तित्वहीनता उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
21.पर उस छण युग की चिंताओं से बडी हो गयी थीं अस्तित्वहीनता की पीडाएं और पहले मैं लडा था, पर जमीन अपनी नहीं होने की नैतिकता में घर छोड दिया था मैंने।

22.इहलौकिक (Physical earthbound existence) अथवा परालौकिक (Ethereal existence in non-physical forms) दोनों प्रकार का अस्तित्वहीनता (Non-existence) बिश्नोई दर्शन (Bishnoi philosophy) के अनुसार सर्वोत्तम स्थिति है.

23.इसी प्रकार ' नास्ति ; शब्द का अर्थ ' अस्तित्वहीनता ' अथवा ' कल्पना ' है. इसी आधार पर ' स्वास्ति ' का अर्थ वही है जो आज ' स्वास्थ ' का है.

24.मैने अर्थांतर उपन्यास के माध्यम से, तथाकथित संस्कारशील घरों में घुटते दांपत्य और अस्तित्वहीनता की यंत्रणा सहती स्त्री के अंतर्द्वंद्व ही नहीं दिखाए, बल्कि रूढ़ नैतिकता और पुरुष अहं का परीक्षण करती ' कम्मो' की सहज जीवन जीने की आकांक्षा को नए अर्थ देने की कोशिश को भी बल दिया है।

25.मैने अर्थांतर उपन्यास के माध्यम से, तथाकथित संस्कारशील घरों में घुटते दांपत्य और अस्तित्वहीनता की यंत्रणा सहती स्त्री के अंतर्द्वंद्व ही नहीं दिखाए, बल्कि रूढ़ नैतिकता और पुरुष अहं का परीक्षण करती ' कम्मो' की सहज जीवन जीने की आकांक्षा को नए अर्थ देने की कोशिश को भी बल दिया है।

26.थेअलोजियन पॉल टीलीच ने अस्तित्व की चिंता की विशेषता का वर्णन 2 इस प्रकार किया “एक ऐसी दशा जिसमें अस्तित्व, संभावित अस्तित्वहीनता(nonbeing) के बारे में जागरूक रहता है” और उन्होने अस्तित्वहीनता (nonbeing) को तीन श्रेणियों में सूचीबद्ध किया: ओन्टिक (ontic) (भाग्य और मौत), नैतिक (अपराध और निंदा) और आध्यात्मिक (खालीपन और अर्थहीनता).

27.दुष्यन्त जहाँ आम आदमी की चर्चा करते हुए उसके अस्तित्वहीनता और स्वत्वहीनता की बात करते हैं वहीं उसे वे यह विश्वास दिलाते हैं कि अगर वह चाहे तो क्या नहीं कर सकता? उसमें ऐसी शक्ति है जिससे वह क्रान्ति ला सकता है, बस आवश्यकता है तो सिर्फ़ लगन और दृढ़ता की ।

28.मैने अर्थांतर उपन्यास के माध्यम से, तथाकथित संस्कारशील घरों में घुटते दांपत्य और अस्तित्वहीनता की यंत्रणा सहती स्त्री के अंतर्द्वंद्व ही नहीं दिखाए, बल्कि रूढ़ नैतिकता और पुरुष अहं का परीक्षण करती ' कम्मो ' की सहज जीवन जीने की आकांक्षा को नए अर्थ देने की कोशिश को भी बल दिया है।

29.दुष्यन्त जहाँ आम आदमी की चर्चा करते हुए उसके अस्तित्वहीनता और स्वत्वहीनता की बात करते हैं वहीं उसे वे यह विश्वास दिलाते हैं कि अगर वह चाहे तो क्या नहीं कर सकता? उसमें ऐसी शक्ति है जिससे वह क्रान्ति ला सकता है, बस आवश्यकता है तो सिर्फ़ लगन और दृढ़ता की ।

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