दाई एक हाथ से, जो चाँदी की मैली-कुचैली अँगूठियों, चूड़ियों से भरा हुआ था, आँवल की डण् डी पकड़े हुए थी और दूसरे हाथ से मैला साफ कर रही थी।
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मसीतन आँवल सूतती रही और दूसरी औरतें अपने-अपने किस् से बयान करने लगीं कि उनकी अपनी दफा क् या हुआ था और मोहल् ले या उनके ससुराल में कौन वाली दाई आती है फलानी जच् चा बच् चे के पैदा होते ही मर गई और आँवल अन् दर की अन् दर ही रह गई।
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मसीतन आँवल सूतती रही और दूसरी औरतें अपने-अपने किस् से बयान करने लगीं कि उनकी अपनी दफा क् या हुआ था और मोहल् ले या उनके ससुराल में कौन वाली दाई आती है फलानी जच् चा बच् चे के पैदा होते ही मर गई और आँवल अन् दर की अन् दर ही रह गई।
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कैसे हम सवा लाख उच्च कोटि के साधक ढूढें़ व उन्हे कर्मक्षेत्र में उतारे? यह प्रश्न आँवल खेड़ा अर्द्ध महापूर्णाहुति से उठना प्रारम्भ हुआ था, परन्तु आज भी हम इस प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ है कि क्या हमने सवा लाख हीरों का चयन किया? इस पर विस्तृत चर्चा एवम् कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है कि कैसे सवा लाख कार्यकत्ताओं को ढूंढ़ा जाय, उनको प्रशिक्षित कर पाँच आन्दोलनों (प्रचारात्मक, रचनात्मक, सगठनात्मक, साधनात्मक एंव संघर्षात्मक) को गति प्रदान की जाए।