| 21. | जीवाणु शरीर के अंदर पहुंचकर आंतों में जहर पैदा करके आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) को पैदा करते हैं।
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| 22. | जब कोई व्यक्ति शारीरिक क्षमता से अधिक परिश्रम करता है तो कुपोषण के कारण आंत्रिक ज्वर से पीड़ित होता है।
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| 23. | आंत्रिक ज्वर को जन साधारण में मोतीझरा, मियादी बुखार, मौक्तिक ज्वर आदि अनेक नामों से संबोधित करते है।
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| 24. | आंत्रिक ज्वर में किसी कारण से रोगी को अतिसार (दस्त) हो जांए तो बहुत हानि पहुंच सकती है।
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| 25. | दूषित जल के सेवन और अधिक समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से भी आंत्रिक ज्वर की उत्पत्ति होती है।
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| 26. | आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) के रोगी को बिना मसाले का भोजन, मूंग की दाल, हरी सब्जियां देनी चाहिए।
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| 27. | आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) के दूसरे सप्ताह में रोगी की छाती और पेट पर छोटे-छोटे सफेद दाने निकल आते हैं।
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| 28. | इस ज्वर में मुनक्का का दूध पिलाकर ऊपर से नारंगी का रस पिलाने से आंत्रिक ज्वर, गर्मी और बैचेनी दूर होती है।
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| 29. | प्रदूषित वातावरण और दूषित जल व आहार के अधिक समय तक सेवन करने से आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) उत्पन्न होता है।
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| 30. | खूनी बवासीर हो जाता है, आंत्रिक ज्वर होने के साथ ही काला पाखाना होता है और अलकतरा जैसा मल दिखाई देता है।
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