कोई अवरोध उसे काटता है, दो टुकडे करता है, तो काटकर भी अवरोध के आगे बढता हुआ फिर जुड़ जाता है और वैसे का वैसा हो जाता हैं / जब कोई अवरोध दीवार की तरह सामने आकर उसकी गति अवरुद्ध करता है तो धैर्य पूर्वक धीरे-धीरे ऊँचा उठता हुआ उस दीवार को लांघकर सहज भाव से आगे बढ जाता है / आज कल दूसरों के दोष दिखाने और घृणा को फ़ैलाने, बढाने का एक अजीब सा दौर चल पड़ा है...