फिर भी, विलक्षण प्रतिभा और उत्कृष्ट वास्तुकौशल से आद्योपांत परिप्लावित भारतीय जनजीवन के इतिहास का ऐसा आडंबरहीन आरंभ आश्चर्यजनक होने के साथसाथ और अधिक गवेषण की अपेक्षा रखता है, जिससे आर्य सभ्यता से, जो इससे भी प्राचीन मानी जाती है, इसका संबंध जोड़नेवाली कड़ी का पता लग सके।
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मिस्र के सादे स्वरूप, चीन के मानक अभिकल्प-स्वरूप, भारत के विदेशी तथा समृद्ध स्वरूप, मैक्सिको के मय और ऐजटेक की अनगढ़ महिमा, यूनान के अत्यंत विकसित देवायतन, रोमन साम्राज्य की बहुविध आवश्यकताओं की पूर्ति करनेवाले जटिल प्रकार के भवन, पुराकालीन आडंबरहीन गिरजे, महान् गाथिक गिरजा भवन और चित्रोपम दुर्ग, तुर्की इमारतों के उत्कृष्ट विन्यास एवं अनुपात, और यूरोपीय पुनरुत्थान के भव्य वास्तुकीय स्मारक ऐतिहासिक वास्तु के सतत विकास का लेखा प्रस्तुत करते हैं।
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मिस्र के सादे स्वरूप, चीन के मानक अभिकल्प-स्वरूप, भारत के विदेशी तथा समृद्ध स्वरूप, मैक्सिको के मय और ऐजटेक की अनगढ़ महिमा, यूनान के अत्यंत विकसित देवायतन, रोमन साम्राज्य की बहुविध आवश्यकताओं की पूर्ति करनेवाले जटिल प्रकार के भवन, पुराकालीन आडंबरहीन गिरजे, महान् गाथिक गिरजा भवन और चित्रोपम दुर्ग, तुर्की इमारतों के उत्कृष्ट विन्यास एवं अनुपात, और यूरोपीय पुनरुत्थान के भव्य वास्तुकीय स्मारक ऐतिहासिक वास्तु के सतत विकास का लेखा प्रस्तुत करते हैं।
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मिस्र के सादे स्वरूप, चीन के मानक अभिकल्प-स्वरूप, भारत के विदेशी तथा समृद्ध स्वरूप, मैक्सिको के मय और ऐजटेक की अनगढ़ महिमा, यूनान के अत्यंत विकसित देवायतन, रोमन साम्राज्य की बहुविध आवश्यकताओं की पूर्ति करनेवाले जटिल प्रकार के भवन, पुराकालीन आडंबरहीन गिरजे, महान् गाथिक गिरजा भवन और चित्रोपम दुर्ग, तुर्की इमारतों के उत्कृष्ट विन्यास एवं अनुपात, और यूरोपीय पुनरुत्थान के भव्य वास्तुकीय स्मारक ऐतिहासिक वास्तु के सतत विकास का लेखा प्रस्तुत करते हैं।