कभी समाज साथ नहीं देता तो कभी परिस्थितियां, तो कभी ग्रीक ही क्या, हर बड़ी कहानी के नायक की तरह, एक छोटी-सी भूल भी आत्मघातक सिद्ध होती है।
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चौथे सत्र में हेरोल्ड पेर्रिना ने मुख्य कलाकारों का साथ माइकल डावसन, की भूमिका में लिया जो एक आत्मघातक है और अपने पिछले अपराधों के लिए प्रायश्चित करना चाहता है ।
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इससे उत्पन्न क्षुब्ध स्वार्थी लिप्सा या आत्मघातक उदासी, मूल्यों और संस्कारों को दीमक की तरह चाटती, मानव-समाज की सकारात्मक उर्जा व आशा, दोनों का हनन करती, आत्मघात के कगार तक खींच लाई है।
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जब हम स्वहिताय जीते हैं और स्वसुखाय सोचते हैं कि दुनिया को मारे सुख सुविधाओं का ख्याल रखना चाहिए, किन्तु दुनिया के सुख सुविधाओं का खयाल रखना हमारे लिए आवश्यक नहीं तब यही तथाकथित समझदारी हमारे लिए आत्मघातक सिद्ध होती है।
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जब हम स्वहिताय जीते हैं और स्वसुखाय सोचते हैं कि दुनिया को मारे सुख सुविधाओं का ख्याल रखना चाहिए, किन्तु दुनिया के सुख सुविधाओं का खयाल रखना हमारे लिए आवश्यक नहीं तब यही तथाकथित समझदारी हमारे लिए आत्मघातक सिद्ध होती है।
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अत: डॉक्टरजी के मन में यह विचार बल पकड़ने लगा कि 90 प्रतिशत हिन्दू समाज का मनोबन, उन्हें सुदृढ़ सुसंगठित कर बढ़ाने की बजाए वह टूटने से, हिन्दू समाज का आत्मविश्वास घटने के कारण मुस्लिम अनुनय की गांधीजी प्रणीत प्रक्रिया आत्मघातक ही सिध्द होगी।
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मजदूरों में, उनके मजदूर रहते हुए, अपनी शक्ति और अधिकारों की चेतना आ जाये, उस समय उन्हें किस मार्ग का अवलम्बन करना चाहिये? अगर उस समय मजदूर अपनी संख्या के बल का यानी पशु-शक्ति का आश्रय लें, तो यह उनके लिए आत्मघातक शिद्ध होगा ।
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मनुष्य के जीवन में जब स्वयं के विचार ही विकार उत्पन्न करना आरम्भ कर दें तो यह मस्तिष्क में रोग उत्पन्न कर सकता है और धीरे-धीरे विकृत विचार, मानसिकता को भी विकृत करना आरम्भ कर देते हैं और इस निराशा में व्यक्ति कुछ भी कर सकता है, रोगी हो सकता है, आत्मघातक भी हो सकता है और अपराध भी कर सकता है.
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फिर देखो तुम्हें बिन मांगे भी अद्भुद और अलौकिक शांति और सुख के साथ गौरव का अहसास होगा! और तुम्हारे जीवन की ऐसी आत्मघातक दुर्घटनाओं से रक्षा इसी में है कि अपने बाबुजी और दादाजी के फ़ॉर्मूले पर अमल करो, बाबुजी को ही श्रीहरी नारायण मानकर उनका अनुकरण करो! समाधान तुम्हारे सामने है! तुम्हारा सुखद जीवन तुम्हारे अपने हाथ में है!
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मेरा मानना है कि ऐसे समाचार, ऐसी कपोल कल्पित घटनाआें के फिल्मी और टीवी कार्यक्रमों के प्रचार के कारण अनेक युवा ऐसे गलत कदम उठा रहे हैं, जिनके कारण भारतीय समाज की आधारशिला मानी जाने वाली विवाहसंस्था कमजोर होने लगी है और समाज में तलाक, विवाहेतर संबंध बिना विवाह के और बिना किसी दायित्व के युवा मदा]औरतों का साथ रहना आदि आत्मघातक प्रवृत्तियां बढती जा रही हैं।