और तब धरती पर 3, 600 वर्षों के लिए शान्ति और अत्याकुल युग का अवतरण हुआ-जोकि शायद इस युग तक चलता, अगर तारक नाम का आत्मसंयमी कट्टर राक्षस पैदा न हुआ होता।
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आत्मसंयमी व्यक्ति कुछ खाएगा भी, तो भोज्य पदार्थ को वह उसके जैविक रूप में ग्रहण करना चाहेगा, जैसे वह फल, अंकुरित बीज व साबूत गेहूं की रोटी को अपने आहार में शामिल करता है।
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अन्यथा, आचारसंहिता बनाने की बात चलती रहेगी, और उसका विरोध दो प्रकार के लोग करते रहेंगे-एक वे जो पर्याप्त आत्मसंयमी हैं, अपनी पोस्ट और टिप्पणियों के पब्लिश होने के निहितार्थ जानते हैं और अपने को सतत सुधारने में रत हैं;
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अर्थ: परन्तु स्वाधीन अन्त: करण वाला (आत्मसंयमी साध्क) प्रेम तथा ईर्ष्या से रहित और अपने वश में की हुर्इ इंद्रियों द्वारा विषयों में विचरण करता हुआ (अर्थात् विषयों को भोगता हुआ भी) आंतरिक प्रसन्नता को प्राप्त होता है।
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यह मानसिक ही नहीं, शारीरिक रूप से भी लाभकारी रंग है, जहां तक इस रंग की शख्सियतों के मनोविज्ञान की बात है तो हरा रंग पसंद करने वाले आत्मसंयमी, ताजगी पसंद, भावुक और सुरक्षा को पसंद करने वाले होते हैं।
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अगस्त २ ५, १ ३ ० ३ कि भोर थी, आत्मसंयमी दुखसुख को समान रूप से स्वीकार करने वाला भाव लिए, पुरुष खड़े थे उस हवन कुन्ड के निकट, कोमलता से भगवद गीता के श्लोकों का कोमल स्वर में पाठ करते हुए …..
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चूँकि उसने अपने भीतर विद्यमान भावातीत परब्रह्म की सत्ता का अनुभव कर लिया है एवं संशयमुक्त है (छिन्नद्वैधाः), उन्हें विषय-भोगों के पीछे भागने की आवश्यकता नहीं अनुभव होती, आत्मानंद ही सर्वोपरि होता है, वे स्वाभाविक रूप से आत्मसंयमी हो जाते हैं (यतात्मानः) ।
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वास्तव में हज पर जाना, ईश्वर के सामने आत्मसमर्पण व उसके सामिप्य व आज्ञापालन के उच्च चरण की ओर क़दम बढ़ाना है जिससे एक आम मुसलमान भविष्य के बारे में सोचने वाला, शीघ्र समाप्त होने वाले आनंदों पर ध्यान न देने वाला, आत्मसंयमी और कुल मिलाकर एक ईमान वाला व्यक्ति बन जाता है।
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वे अपने क्षेत्रों में निपुण, दूरदर्शी, देश, काल और अवसरों का अच्छी प्रकार प्रयोग करने में समर्थ, सम्मान और रहस्य को कायम रखते हुए परिहास करने की योग्यता से परिपूर्ण, आवश्यकतानुसार मधुर तथा कठोर संभाषण में सक्षम, लज्जायुक्त, व्यसनमुक्त, काम, क्रोध, लोभ, जिद्द, चपलता तथा जल्द बाजी से रहित, आत्मसंयमी तथा नीतिशास्त्र का पालन करने वाले हों.
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शिरडी गाँव की वृद्धा जो नाना चोपदार की माँ थी उसके अनुसार एक युवा जो अत्यन्त सुन्दर नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा | अति अल्प आयु में बालक को कठोर तपस्या में देख कर लोग आश्चर्य चकित थे | तपस्या में लीन बालक को सर्दी-गर्मी व वर्षा की जरा भी चिंता न थी | आत्मसंयमी बालक के दर्शन करने के लिए अपार जन समूह उमड़ने लगा |