प्रचार संगठन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार व कर्तव्य, कार्य करने की प्रक्रिया/कर्तव्यों के सम्पादन हेतु प्रयुक्त निकष तथा संगठन की विशिष्टियां आदि जन सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 की धारा-4(1)
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जन संस्कृति मंच, पीयूसीएल, एपवा, वर्कर्स कौंसिल, आइसा, एक्टू आदि जन संगठनों की ओर से आगामी 6 सितंबर को शाम साढ़े चार बजे से जीपीओ पार्क पर धरना व विरोध प्रदर्शन किया जायेगा।
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प्रचार संगठन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार व कर्तव्य, कार्य करने की प्रक्रिया / कर्तव्यों के सम्पादन हेतु प्रयुक्त निकष तथा संगठन की विशिष्टियां आदि जन सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 की धारा-4 (1)
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महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगी शिक्षा आदि जन जीवन की ज्वलंत समस्याओं के खिलाफ देशव्यापी जन प्रतिरोध आन्दोलन खड़ा करने हेतु रवीन्द्रालय सभागार, चारबाग लखनऊ, उ 0 प्र 0 में जन प्रतिरोध सम्मेलन आयोजित हुआ।
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अखबारों में बार बार मॉंग उठती रही चुटका परमाणु बिजलीघर के मामले में भी तत्कालीन विधायक दयाल सिंग तुमरांची, मोहन लाल िझकराम, फिर वर्तमान सांसद फंग्गन सिंग कुलस्ते आदि जन प्रतिनिधि व्यापक रूप से आवाज उठाते रहे है।
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अभी सरकारी अधिकारियों, चुनाव लड़ने वालों, मंत्रियों, सांसदों विधायकों आदि जन प्रतिनिधियों के साथ न्यायधीशों की सम्पत्ति की घोषणा से सम्बन्धित बहस शांत ही नहीं हुयी थी कि न्यायिक सुधारों से सम्बन्धित नये विधेयक की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है।
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न्यायिक सुधारों की दिशा मे जड़ से ही सुधार हो वीरेन्द्र जैन अभी सरकारी अधिकारियों, चुनाव लड़ने वालों, मंत्रियों, सांसदों विधायकों आदि जन प्रतिनिधियों के साथ न्यायधीशों की सम्पत्ति की घोषणा से सम्बन्धित बहस शांत ही नहीं हुयी थी कि न्यायिक सुधारों से...
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अभी सरकारी अधिकारियों, चुनाव लड़ने वालों, मंत्रियों, सांसदों विधायकों आदि जन प्रतिनिधियों के साथ न्यायधीशों की सम्पत्ति की घोषणा से सम्बन्धित बहस शांत ही नहीं हुयी थी कि न्यायिक सुधारों से सम्बन्धित नये विधेयक की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है।
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न्यायिक सुधारों की दिशा मे जड़ से ही सुधार हो वीरेन्द्र जैन अभी सरकारी अधिकारियों, चुनाव लड़ने वालों, मंत्रियों, सांसदों विधायकों आदि जन प्रतिनिधियों के साथ न्यायधीशों की सम्पत्ति की घोषणा से सम्बन्धित बहस शांत ही नहीं हुयी थी कि न्यायिक सुधारों से
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भूपेन दा का गायन एक तरह से प्रगतिशील आंदोलन के साथ ही बना-बढ़ा. प्रगतिशील आंदोलन के इन पिछले पचहत्तर सालों पर नज़र डालिए तो अनिल बिश्वास, हेमंग विश्वास, शैलेन्द्र आदि जन गीतकारों की धारा ही भूपेन दा के गीतों की ऊर्जा भरती थी.