प्राधिकार और जवाबदेही की उपयोगिता एवं महत्त्व को समझने तथा सांगठनिक जटिलताओं के निदान में वैदिक ग्रंथों को बतौर आधार ग्रंथ अपनाया जा सकता है।
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परिणाम यह हुआ कि पुरोहितों द्वारा रामचरितमानस को पांचवा वेद घोषित करने के बावजूद उसे हिंदू धर्म के आधार ग्रंथ की मान्यता हासिल न हो सकी.
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जिसका आधार ग्रंथ ‘दुर्गाशप्ती ' है. 700 श्लोकों और 13 अध्यायोंका यह ‘देवी महात्म्य', मारकण्डेय पुराण में 81वें से 93वें अध्याय (कुछ प्रतियों में 78वें से 90वें अध्याय तक) पाया जाता है.
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छपे हुए महत्वपूर्ण दुर्लभ आधार ग्रंथ आदि पहले यह लिखा जा चुका है कि श्री रघुबीर लायब्रेरी में हिन्दी, फारसी, मराठी और अंग्रेजी के सैकड़ों महत्त्वपूर्ण छपे हुए ग्रंथ हैं ।
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आधार ग्रंथ-पिछले पन्ने की औरतें (उपन्यास)-शरद सिंह सामयिक प्रकाशन, नई दिल्ली, तृतीय संस्करण-2010 पृष्ठ संख्या-304, मूल्य-395 रुपए-डॉ.विजय शिंदे देवगिरी महाविद्यालय, औरंगाबाद. फोन 09423222808 ई-मेल
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गीतांजलि के गद्यानुवादों की तुलना ', पांचवां है ‘ गीतांजलि के पद्यानुवादों की तुलना ', छठा ‘ नवीन प्रस्थान ', सातवां ‘ आधार ग्रंथ ' और आठवां ‘ अनुवादक परिचय परिशिष्ट ' ।
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वे मध्यकालीन भारतीय इतिहास के ऐसे प्रबुद्ध इतिहासकार थे जिन्होंने खुले मानस से फारसी, मराठी और राजस्थानी ऐतिहासिक आधार ग्रंथ एकत्रित कर उनके महत्त्व के बीच संतुलन ही स्थापित नहीं किया अपितु उनका संतुलित रूप से उपयोग कर ऐसे इतिहास ग्रंथों का निर्माण भी किया जो वर्तमान और भावी इतिहसकारों के लिए सदा उपयोगी और प्रेरणादायी सिद्ध होंगे ।