इसके लिये आवश्यक शर्त यह है कि प्रकाश की किरण अधिक अपवर्तनांक के माध्यम से कम अपवर्तनांक के माध्यम में प्रवेश करे (अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करे) तथा आपतन कोण का मान 'क्रान्तिक कोण' से अधिक हो।
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किन्तु यदि हम वैज्ञानिक विश्लेषण करें तों पृष्ठ एवं अग्र भाग को छोड़ कर शेष दोनों भागो को आधार से लेकर शीर्ष तक यदि आपतन कोण तीस अंश कर देते है तों किरणे परस्पर आघात प्रतिघात से शून्य या सुषुप्त अवस्था में बिना किसी आवेश (चार्ज) के हो जायेगीं.