गरमी के दिनों में शुप्कता अधिक होती है और जाड़े में कम, यद्यपि आपेक्षिक आर्द्रता जाड़े में कम और गरमी में अधिक पाई जाती है।
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कहते है: अर्थात् T ताप पर आपेक्षिक आर्द्रता एक घन सें.मी. वायु में T सेंटीग्रेड पर प्रस्तुत जलवाष्प¸ एक घन सेंटीमीटर वायु में T सेंटीग्रेड पर संतृप्त जल वाष्प ।
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रेनो की सारणी में विभिन्न तापों पर इस अंतर के अनुकूल जलवाष्प की दाब दी हुई है, अत: दोनों तापमापियों का पाठ लेकर आपेक्षिक आर्द्रता तथा ओसांक का मान ज्ञात किया जाता है।
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वायु के एक निश्चित आयतन में किसी ताप पर जितना जलवाष्प विद्यमान होता है और उतनी ही वायु को उसी ताप पर संतृप्त करने के लिए जितने जलवाष्प की आवश्यकता होती है, इन दोनों राशियों के अनुपात को आपेक्षिक आर्द्रता (
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वायु के एक निश्चित आयतन में किसी ताप पर जितना जलवाष्प विद्यमान होता है और उतनी ही वायु को उसी ताप पर संतृप्त करने के लिए जितने जलवाष्प की आवश्यकता होती है, इन दोनों राशियों के अनुपात को आपेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity या RH)
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इस बात को ध्यान में रखते हुए कृषि आधारित मौसम विज्ञान की 130 क्षेत्रीय इकाइयों के लिए 35 किलोमीटर एमएमई प्रणाली के आधार पर नियमित रूप से वर्षा, अधिकतम और न्यूनतम तापमान, बादल वाले कुल्क्षेत्र, भूतल पर आपेक्षिक आर्द्रता और वायु का लघुकालिक पूर्वानुमान जारी किया जाता है ।
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इस बात को ध् यान में रखते हुए कृषि आधारित मौसम विज्ञान की 130 क्षेत्रीय इकाइयों के लिए 35 किलोमीटर एमएमई प्रणाली के आधार पर नियमित रूप से वर्षा, अधिकतम और न् यूनतम तापमान, बादल वाले कुल् क्षेत्र, भूतल पर आपेक्षिक आर्द्रता और वायु का लघुकालिक पूर्वानुमान जारी किया जाता है ।
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जैसे, यद्यपि वायु की आपेक्षिक आर्द्रता सौ प्रतिशत से पर्याप्त कम रहने पर भी बर्फ के पानी से भरे गिलास के बाहर वायु का वाष्प संघनित हो जाता है उसी प्रकार स्वच्छ प्रशांत रात्रि में ओस का संघनन उन भूतलस्थित वस्तुओं पर हो जाता है जो अपनी ऊष्मा के विकिरण के कारण आसपास की वायु के ओसांक से निम्न ताप तक ठंडी हो जाती हैं, पाला उन सतहों पर जमता है जो हिंमाक से भी अधिक ठंडी हो जाती हैं, चाहे मुक्त वायु का ताप हिमांक से काफी ऊँचा की क्यों न हो।
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जैसे, यद्यपि वायु की आपेक्षिक आर्द्रता सौ प्रतिशत से पर्याप्त कम रहने पर भी बर्फ के पानी से भरे गिलास के बाहर वायु का वाष्प संघनित हो जाता है उसी प्रकार स्वच्छ प्रशांत रात्रि में ओस का संघनन उन भूतलस्थित वस्तुओं पर हो जाता है जो अपनी ऊष्मा के विकिरण के कारण आसपास की वायु के ओसांक से निम्न ताप तक ठंडी हो जाती हैं, पाला उन सतहों पर जमता है जो हिंमाक से भी अधिक ठंडी हो जाती हैं, चाहे मुक्त वायु का ताप हिमांक से काफी ऊँचा की क्यों न हो।
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जैसे, यद्यपि वायु की आपेक्षिक आर्द्रता सौ प्रतिशत से पर्याप्त कम रहने पर भी बर्फ के पानी से भरे गिलास के बाहर वायु का वाष्प संघनित हो जाता है उसी प्रकार स्वच्छ प्रशांत रात्रि में ओस का संघनन उन भूतलस्थित वस्तुओं पर हो जाता है जो अपनी ऊष्मा के विकिरण के कारण आसपास की वायु के ओसांक से निम्न ताप तक ठंडी हो जाती हैं, पाला उन सतहों पर जमता है जो हिंमाक से भी अधिक ठंडी हो जाती हैं, चाहे मुक्त वायु का ताप हिमांक से काफी ऊँचा की क्यों न हो।