| 21. | यूँ तो तपिश है आज बहुत आफ़ताब में
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| 22. | कि आज धूप नहीं निकली आफ़ताब के साथ
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| 23. | आफ़ताब में वो हैं, चांदनी में वो है,
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| 24. | ज़रे सुर्ख़रू का मीर अजवा आफ़ताब कहलाता है.
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| 25. | ख़ुदा ख़ैर करे, जब दो-दो आफ़ताब रहे।।
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| 26. | चाँद तेरी रोशनी आफ़ताब से है मगर
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| 27. | झिलमिलाती शम्अ रुख़्सत हो कि उभरा आफ़ताब
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| 28. | तपिश पाने को आफ़ताब की राह तकते
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| 29. | मैं भी बुझूँगा एक दिन और तू भी आफ़ताब
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| 30. | ये हुस्न की चकाचौंध, ये चेहरा आफ़ताब है
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