सुवीरा जायसवाल ने अपनी पुस्तक ' वैष्णव धर्म का उद्भव और विकास ‘ में वैष्णव धर्म की लम्बी समावेशी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि वैष्णव धर्म में उन विदेशियों व आदिवासी जातियों के आर्यीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिनका परवर्ती मुसलमानों की तरह न तो अपना कोई प्रबल धर्म या सम्प्रदाय था और न सुविकसित संस्कृति ही थी।
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आने वाले वर्षों में ड्यूश बैंक ने यहूदियों के व्यापार के आर्यीकरण (आर्यों को सौंप देना) में भी भाग लिया, इसके स्वयं के इतिहासकारों के अनुसार, नवम्वर 1938 तक बैंक इस प्रकार के 363 अधिकरणों में शामिल था.[16] युद्ध के दौरान, ड्यूश बैंक ने पूर्वीय यूरोप के अधिपत्य की प्रक्रिया में जर्मनवासियों के हाथों में पड़ने वाले अन्य बैंकों को निगमित कर दिया.