| 21. | साधारण वार्षिकी उसको कहते हैं जो आवर्तकाल की समाप्ति पर किया जाता है (जैसे महीने या वर्ष) ।
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| 22. | साधारण वार्षिकी उसको कहते हैं जो आवर्तकाल की समाप्ति पर किया जाता है (जैसे महीने या वर्ष) ।
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| 23. | इस सूत्र से साफ है कि यदि आयाम (या स्विंग) कम हो तो आवर्तकाल अलग-अलग आयामों के लिये समान होगा।
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| 24. | इस विधि में एक लोलक को उसकी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर दोलन कराकर आवर्तकाल T ज्ञात किया जाता है।
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| 25. | इस सूत्र से साफ है कि यदि आयाम (या स्विंग) कम हो तो आवर्तकाल अलग-अलग आयामों के लिये समान होगा।
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| 26. | लोलक के किसी भी आयाम (छोटे या बड़े) के लिये आवर्तकाल का मान निम्नलिखित अनन्त श्रेणी द्वारा दी जाती है-
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| 27. | लोलक के किसी भी आयाम (छोटे या बड़े) के लिये आवर्तकाल का मान निम्नलिखित अनन्त श्रेणी द्वारा दी जाती है-
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| 28. | इन समीकरणों को देखने से स्पष्ट है कि आवृत्ति और आवर्तकाल पिण्ड के आरम्भिक कला तथा आयाम पर निर्भर नहीं हैं।
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| 29. | इन समीकरणों को देखने से स्पष्ट है कि आवृत्ति और आवर्तकाल पिण्ड के आरम्भिक कला तथा आयाम पर निर्भर नहीं हैं।
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| 30. | तरंग के एक आवर्तकाल को ३६० डिग्री के तुल्य मानते हुए कला को प्रायः अंशों (डिग्री) में भी व्यक्त करते हैं।
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