मैं यहाँ तक चला आया हूँ महज आशा करते हुए हँसते हुए गाना गाते हुए अभिवादन, आइए-बैठिए, दुःख, तंगहाली हम कुछ कर सकते हैं या हम अब कुछ नहीं कर सकते अजर स्त्रोत के जल की तरह बहता पैसा और खाई विशाल जैसे अलंघ्य जिसमें गिरते हुए अरबों कीट-पंतग मनुष्यों जैसे लगते समुद्र में हर पल बनती लहर लौट कर आती किनारों से ही फैलता हुआ नमक का झाग तटों पर जिसकी तलहटी में किरकिराती बारीक रेत