और वह भी तब जब रामायण के रचयिता वाल्मीकि जी स्वयं सीता के वनवास के समय उनके आश्रय दाता रहे और लवकुश को उनकी माँ का अधिकार दिलाने के लिए प्रयास करने को प्रेरित किया, मानस में लगभग सभी अलंकारों का प्रयोग तुलसी दास जी ने किया है ….
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तात्पर्य-अजगर किसी की नौकरी नहीं करता और पक्षी भी कोई काम नहीं करते भगवान सबका पालन हार है इसलिए कोई काम मात करो भगवान स्वयं ही देगा आलसी लोगों के लिए मलूक दास जी की ये पंक्तियाँ रामबाण है! ऊधौ का देना ना माधौ का लेना! तात्पर्य-किसी का कर्ज ना होना! सम्बन्ध-नौ नगद ना तेरह उधार! पाल पाल तोरे जी खां काल! तात्पर्य-सांप कभी भी आश्रय दाता को मार सकता है इसलिए उसे नहीं पालना चाहिए! काग घोंसला मारिये, मसि भींजत