| 21. | गफ़लत के भी अपने मज़े हैं. वाह! डॉक्टर द्वय और आह! मरीज़.
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| 22. | | 1948) साभार: कविताकोश आह! वेदना मिली विदाई-जयशंकर प्रसाद आह!
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| 23. | | 1948) साभार: कविताकोश आह! वेदना मिली विदाई-जयशंकर प्रसाद आह!
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| 24. | क्यूँ न निकल जाता है ये दम, आह! कहीं मैं और कहीं तू
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| 25. | ताऊ की बात जमीं कि सिगरेट पीना सफल हो गया सुरीली शहनाई? आह!
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| 26. | विशेषता = अंदर तक जाये आराम दिलाये.... आह! से आहा तक.....
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| 27. | क्या एक निर्दोष का खून रंग न लाएगा? आह! अभागी कुलीना! तुझे आज अपने
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| 28. | कहा तो वह चिड़कर बोला-”चल चल! भोली सूरत पर मरा जाताहै।” आह! यह कैसा
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| 29. | बोला, “चल चल! भोली सूरत पर मरा जाता है” आह! यह कैसा अमानुषिक बर्ताव
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| 30. | जन्मदिन भी है, लेकिन आप पाठकों आह! त्रि! फंट! भाग लेने के लिए प्यार करेगा!
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