1989 की कवितायें-दो तिहाई ज़िन्दगी यह उन दिनों की कविता है जब नौकरी भी आठ घंटे करनी होती थी और मजदूरी के भी आठ घंटे तय होते थे, शोषण था ज़रूर लेकिन इतना नहीं जितना कि आज है ।
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1989 की कवितायें-दो तिहाई ज़िन्द गी यह उन दिनों की कविता है जब नौकरी भी आठ घंटे करनी होती थी और मजदूरी के भी आठ घंटे तय होते थे, शोषण था ज़रूर लेकिन इतना नहीं जितना कि आज है ।
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खैर भेदभाव तो केवल निचले व्यक्ति से ही किया जाता है यह कहना गलत होगा भेदभाव निचले व्यक्ति के पूर्वाग्रह द्वारा भी होता है वह केवल मनुष्यों में ही नहीं जानवरों में भी मिलती है परन्तु इतना नहीं जितना पहले मनुष्यों में था, या है ;
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एक आम इंसान के तौर पर मुझे रामदेव के गिरफ्तार होने, उनके आंदोलन के सरकारी तंत्र द्वारा कुचल दिये जाने का थोड़ा बहुत दुख जरूर हो रहा है लेकिन इतना नहीं जितना कि चारों ओर बताया जा रहा है कि यह देश के साथ धोखा है, ये आम जनता के साथ, आम इंसान के साथ किया गया विश्वासघात है...