बच्चो के संक्रामक (मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा आदि) रोगों में तुलसी के बीज पीसकर देसी गाय के दूध में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
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प्रयोगशालाओं में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि मानव इन्फ्लुएन्जा वाइरसों के लिए अनुमोदित औषधियां मानवों में पक्षी इन्फ्लुएन्जा के लिए भी प्रभावी होनी चाहिए।
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प्रयोगशालाओं में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि मानव इन्फ्लुएन्जा वाइरसों के लिए अनुमोदित औषधियां मानवों में पक्षी इन्फ्लुएन्जा के लिए भी प्रभावी होनी चाहिए।
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6 पत्ते तुलसी के और 6 दाने कालीमिर्च के एकसाथ अच्छी तरह कूटकर 250 मिलीलीटर पानी में पकाकर चीनी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार दूर हो जाता है।
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12 ग्राम अजवाइन को 2 कप पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर ठंडा करके छानकर इसी प्रकार रोजाना 4 बार पीने से इन्फ्लुएन्जा का बुखार शीघ्र ठीक हो जाता है।
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भारत में एवियन इन्फ्लुएन्जा काफी लंबे समय से नहीं पाया गया यद्यपि यह बीमारी सदियों से चली आ रही है और पिछली शताब्दी में ही इसके चार मामले दर्ज किए गए।
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जब कोई रोगी लम्बे समय तक रोगग्रस्त रहता है और वह लम्बे समय तक डायरिया से पीड़ित रहता है या इन्फ्लुएन्जा से पीड़ित रहता है जिसके कारण स्नायविक शक्ति कमजोर हो जाती है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के अनुसार एवियन इन्फ्लुएन्जा के संक्रमण का कोई खतरा नहीं है यदि पक्षियों और अंडों को सही तरह से पकाया जाए।
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अगर किसी व्यक्ति को सर्दी के मौसम में पूरे शरीर में दर्द, सिर में दर्द, खांसी, छींक, बुखार आदि के लक्षण प्रकट होते हैं तो यह इन्फ्लुएन्जा का रोग हो सकता है।
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10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर गुनगने पानी में पकाकर या फांट तैयार करके लगभग 3 घंटे के बाद 25-25 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से इन्फ्लुएन्जा के रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है।