इस साक्षात्कार में उन्होंने जाति के संदर्भ में गाँधी की पिछड़ी सोच, ईमानदार आंबेडकर के अवसरवादी अनुयायियों की धूर्तता और कुछ दलित लेखकों की उग्रवादी विचारधारा के बारे में ऐसी बातें कही हैं जिन पर विचार-विमर्श होना चाहिए।
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इस साक्षात्कार में उन्होंने जाति के संदर्भ में गाँधी की पिछड़ी सोच, ईमानदार आंबेडकर के अवसरवादी अनुयायियों की धूर्तता और कुछ दलित लेखकों की उग्रवादी विचारधारा के बारे में ऐसी बातें कही हैं जिन पर विचार-विमर्श होना चाहिए।
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इस क्रांति की तीन प्रमुख धारायें थी, फ़ेसबुक एक्टिवीस्ट नौजवान समुदाय, कम्युनिस्ट पार्टी के झण्डे तले किसान, मजदूर नौजवान और तीसरा मुस्लिम उग्रवादी विचारधारा से लैस ब्रदरहुड, जिसे जन सैलाब में शिरकत करने का फ़ैसला लेने में ४ दिन लगे.
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यूँ तो आस्ट्रिया के विरुद्ध सर्बों का संघर्ष भी उग्रवादी विचारधारा के रुप में ही जाना जाता है और यूरोप के (उच्चता के) घमंड ने ही १९३९ में विश्व-शांति को भंग किया था, परंतु आज जो आतंकवाद फैला हुआ है उसका और उन अशांतियों का कोई मिलान नहीं है।
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उनका कहना था कि उनकी दूसरी चिंता है युवाओं के उग्रवादी विचारधारा की ओर बढ़ते झुकाव को कैसे रोकें जिससे सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चिंताएँ हैं क्योंकि पूरे विश्व में युवा उग्रवादी विचारधारा की ओर झुक रहे हैं और इसे रोकना केवल पुलिस के बस की बात नहीं है.
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उनका कहना था कि उनकी दूसरी चिंता है युवाओं के उग्रवादी विचारधारा की ओर बढ़ते झुकाव को कैसे रोकें जिससे सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चिंताएँ हैं क्योंकि पूरे विश्व में युवा उग्रवादी विचारधारा की ओर झुक रहे हैं और इसे रोकना केवल पुलिस के बस की बात नहीं है.
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यूँ तो आस्ट्रिया के विरुद्ध सर्बों का संघर्ष भी उग्रवादी विचारधारा के रुप में ही जाना जाता है और यूरोप के (उच्चता के) घमंड ने ही १ ९ ३ ९ में विश्व-शांति को भंग किया था, परंतु आज जो आतंकवाद फैला हुआ है उसका और उन अशांतियों का कोई मिलान नहीं है।
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कांग्रेस में वह बाल गंगाधर तिलक जी व बिपिनचंद्र पाल जी के साथ उग्रवादी विचारधारा से सहमत थे और यह तीनों “ लाल-बाल-पाल ” नाम से प्रसिद्ध थे! जहाँ उदारवादी कांग्रेसी अंग्रेज सरकार की कृपा चाहते थे वहीँ उग्रवादी कांग्रेसी अपना हक़ चाहते थे! लाला जी मानते थे की स्वतंत्रता भीख और प्रार्थना से नहीं बल्कि संघर्ष और बलिदान से ही मिलेगी!
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वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित प्रदेश के तीन जनपदों सोनभद्र, मिर्जापुर एवं चंदौली में केन्द्र सरकार द्वारा सिक्योरिटी रिलेटड एक्सपेंडीचर (एस 0 आर 0 ई 0) योजना के तहत विभिन्न मानक मदों में उपलब्ध करायी जाने वाली धनराशि को नाकाफी बताते हुए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राज्य सरकार द्वारा प्रेषित कार्य योजना के अनुसार शीघ्र धनराशि अवमुक्त कराने का अनुरोध किया, ताकि उग्रवादी विचारधारा के प्रसार को रोका जा सके।