जलवायु, मिट्टी और उच्चावच में विशिष्ट क्षेत्रीय विभिन्नताओं के कारण ही देश में उष्णकटिबंधीय वर्षावाले वनों से लेकर मरुस्थलीय कांटेदार झाडियां तक पाई जाती हैं।
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यह प्रदेश के वृहत उच्चावच खण्ड प्रायद्विपीय पठार के उत्तरीय-पुर्वी भाग मे विस्तृत बघेलखन्ड पठार, छत्तीसगढ़ मैदान एवं दण्डकारण्य पठार के अंतर्गत आता है.
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जलवायु, मिट्टी और उच्चावच में विशिष्ट क्षेत्रीय विभिन्नताओं के कारण ही देश में उष्णकटिबंधीय वर्षावाले वनों से लेकर मरुस्थलीय कांटेदार झाडियां तक पाई जाती हैं।
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वर्षा के असमान वितरण तथा उच्चावच की विभिन्नता के आधार पर भारत को 6 वनस्पति प्रदेशों में वर्गीकृत किया जाता है, जो इस प्रकार हैं-
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उच्चावच के दृष्टिकोण से बिहार मुख्यतया एक मैदान है, किन्तु पर्वतीय भाग एवं पठारी भाग भी क्रमशः इसके संकीर्ण उत्तरी-पश्चिमी और दक्षिणी भाग में विस्तृत है ।
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भौगोलिक विशेषताओं, उच्चावच की विभिन्नताओं के आधार पर बिहार के मैदान को दो उपविभागों में बाँटा जा सकता है-उत्तरी बिहार का मैदान और दक्षिणी बिहार का मैदान ।
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नदियों से भूमि के ढाल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है किसी राज्य का अपवाह तन्त्र वहाँ के उच्चावच एवं भूमि के ढाल पर निर्भर करता है।
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नदियों से भूमि के ढाल के विषय में जानकारी प्राप्त होती है किसी राज्य का अपवाह तन्त्र वहाँ के उच्चावच एवं भूमि के ढाल पर निर्भर करता है।
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हॉलैंड के सुद्रतल से भूमी नीचे धरातलों से लेकर बॉल्टिक पट्टियों के ऊबड़ खाबड़ टीलों से परिपूर्ण भूमि स्वरूप एक बार में देखे जा सकनेवाले दृश्यों तक धरातलीय उच्चावच विधि प्रकार के हैं।
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अपूर्वजी, ' संज्ञा ' के अर्थ-समूह में एक अर्थ है-' चेतना '! ' उच्चावच लहरों ने मुझको संज्ञाएँ दीं ', पंक्ति में ' संज्ञा ' इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है!