भारत गणराज्य में हमारा संविधान ही सर्वोच्च है और उसकी प्रस्तावना में पहला शब्द है “ हम भारत के लोग ” संविधान ने संसद को सर्वोच्चता तो प्रदान की परन्तु इसे उत्तरदायी शासन बनाया.
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वह एक ऐसे उत्तरदायी शासन के पक्ष में था, जिसपर न केवल समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों का नियंत्रण हो, बल्कि उसका आमआदमी के जीवन में कम से कम हस्तक्षेप भी हो.
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जयपुर में प्रजामण्डल का नेतृत्व जमनालाल बजाज, हीरालाल शास्त्री जैसे दिग्गज नेताओं ने किया जबकि जोधपुर में जयनारायण व्यास के मार्गदर्शन में उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिए संघर्ष चला, वहीं सिरोही में गोकुल भाई भट्ट के शीर्ष नेतृत्व में।
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-मूलचंद पेसवानी-उत्तरदायी शासन की स्थापना कर देश में अपनी मिसाल कायम करने वाला हमारा अपना शाहपुरा इन दिनों एक विशेष प्रकार के सुनेपन, मरघट से सन्नाटे तथा प्रदेश में हो रहे अंधाधुंध विकास के दौर में भी एंकाकी जीवन में जी रहा है।
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गेस्ट रायटर शाहपुरा की सीधी सट्ट बात-मूलचंद पेसवानी-उत्तरदायी शासन की स्थापना कर देश में अपनी मिसाल कायम करने वाला हमारा अपना शाहपुरा इन दिनों एक विशेष प्रकार के सुनेपन, मरघट से सन्नाटे तथा प्रदेश में हो रहे अंधाधुंध विकास के दौर में भी एंकाकी जीवन में जी
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उत्तरदायी शासन का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करने के लिए शिक्षित वर्ग को बढ़ाने के लिए या भावी निर्वाचन मण्डल की नींव डालने के लिए, उनको नियन्त्रित करने के लिए तो कोई प्रयत्न नहीं किया, फिर भी इस अधिनियम ने जान-बूझकर निर्वाचन के विचार से छेड़खानी करने का प्रयत्न किया।
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भारत ने इस संकट-काल में जो बहुमूल्य सहायता की, उसकी सब ब्रिटिश-राजनीतिज्ञों ने सराहना की, और भारतीयों के मन में यह आशा पैदा कर दी गई कि जो युद्ध प्रत्यक्षतः राष्ट्रों के स्वभाग्य निर्णय के सिद्धान्त तथा प्रजातंत्री-शासन को सुरक्षित करने के उद्देश्य से लड़ा जा रहा है उसके फलस्वरूप भारत में भी उत्तरदायी शासन की स्थापना हो जाएगी।
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वहां टिहरी राज्य में मेरा और प्रजामंडल का उद्देश्य वैध व शांतिपूर्ण उपायों से श्री महाराजा की छत्रछाया में उत्तरदायी शासन प्राप्त करना और सेवा के साधन द्वारा राज्य की सामाजिक, आर्शिक तथा सब प्रकार की उन्नति करना है, हां मैंने प्रजा की भावना के विरुद्ध काले कानूनों और कार्यों की अवश्य आलोचना की है और मैं इसे प्रजा का जन्मसिद्ध अधिकार समझता हूं।”
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वहां टिहरी राज्य में मेरा और प्रजामंडल का उद्देश्य वैध व शांतिपूर्ण उपायों से श्री महाराजा की छत्रछाया में उत्तरदायी शासन प्राप्त करना और सेवा के साधन द्वारा राज्य की सामाजिक, आर्शिक तथा सब प्रकार की उन्नति करना है, हां मैंने प्रजा की भावना के विरुद्ध काले कानूनों और कार्यों की अवश्य आलोचना की है और मैं इसे प्रजा का जन्मसिद्ध अधिकार समझता हूं।
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लेकिन यदि दोषपूर्ण नीति के कारण या उपेक्षापूर्ण व्यवहार के कारण शासन नागरिकों के कल्याण के लिए उनकी, सुखलृसुविधाओं के लिए या उन अधिकारो के लिए जिनसे एक उत्तरदायी शासन द्वारा जनता के प्रति लोककल्याण के कारण अपेक्षा की जाती है का पालन न करने के कारण क्या देश का सर्वोच्च न्यायालय जो अंतिम रूप से पूरे राष्ट्र के लिए बंधनकारी निर्णय देता है को यह अधिकार है, कि वह शासन को जनकल्याण के लिए विशिष्ट निर्देश/आदेश जारी कर सके?