मूलावस्था या सामान्यावस्था (पोजिटिव डिग्री) जिसमें किसी से तुलना न हो यथा: सुंदर, बड़ा, चतुर आदि, २. उत्तरावस्था या तुलनात्मक (कंपेरेटिव डिग्री) दो के बीच तुलना यथा अपेक्षा, बेहतर, बदतर, अधिक या कम आदि तथा ३.
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जैसे-मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था अच्छी अधिक अच्छी सबसे अच्छी चतुर अधिक चतुर सबसे अधिक चतुर बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे अधिक बुद्धिमान बलवान अधिक बलवान सबसे अधिक बलवान इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।
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जैसे-मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था अच्छी अधिक अच्छी सबसे अच्छी चतुर अधिक चतुर सबसे अधिक चतुर बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे अधिक बुद्धिमान बलवान अधिक बलवान सबसे अधिक बलवान इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।
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एतदर्थ उक्त श्रुति के आधार से याग का साध्य, स्वर्ग का साधन अथवा याग की उत्तरावस्था एवं फल की पूर्वावस्था, ये सब एक वस्तु सिद्ध होती हैं, जिसे अतिशय, अपूर्व, या योग्यता कहते हैं।
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दिन की उत्तरावस्था में यह प्रतिस्पद्र्धा और अधिक मुश्किल होती चली गयी जब लड़कियों से यह कहा गया कि उनमें से किसी एक को ही रणबीर से मिलने का अवसर मिलेगा जो उसके लिये कमरे को बेहतर तरीके से सजाने में सफल होगी।
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यथा झंगरेणो-झंगरेणो सी ललांगो-लाल भली मनखेण आदि रजनी कुकरेती ने भी लिखा की गढ़वाली मे विशेषण की उत्तरावस्था एवम उत्तमावस्था बताने वाले शब्द प्रयोग नही किये जाते हैं किन्तु रजनी स्पष्ट करती हैं कि गढ़वाली मे इस उद्देश्य हेतु पर-विशेषणों का उपयोग किया जटा है.